जनसुनवाई के दौरान बलारपुर से आए लोगों ने कलेक्टर को ज्ञापन और कहा है कि बाघों की बसाहट के बाद भक्तों की आस्था के साथ खिलबाड नहीं किया जाए अन्यथा वह बडा आंदोलन करने को विवश होंगे | कलेक्टर को आवेदन देते हुए मंदिर के महंत ने बताया है कि ग्राम बलारपुर में जन-आस्था का केन्द्र प्रख्यात शक्तिपीठ माता मंदिर बलारपुर स्थित है तथा आमजन एवं माता के भक्तों को आशंका है कि उक्त परियोजना को लागू करने हेतु माता मंदिर पहुंच मार्ग एवं वर्ष में दो बार आयोजित होने वाले मेले की भूमि को शासन द्वारा अधिग्रहित की जा सकती है जिससे भक्तों एवं आमजन में भारी रोष व्याप्त है।
मंदिर के महंत ने मांग की है कि बाघों को बसाने से पूर्व माता मंदिर पहुंच मार्ग के दोनों ओर ऊची तार फेंसिंग कर सुरक्षित किया जाना न्यायोचित होगा साथ ही मंदिर परिसर से लगी हुई मेला की भूमि को भी मेला हेतु सुरक्षित किया जाए। उन्होंने बताया है कि माता मंदिर श्री बलारपुर में वर्ष में दो बार मेला आयोजित किये जाने की परम्परा काफी वर्षो पूर्व से चली आ रही है जिसमें शिवपुरी जिला ही नहीं अपितु आस-पास के जिलों से भक्तगण काफी संख्या में सम्मिलित होते श्री पंच दशनाम आवाहन अखाड़ा है इस हेतु मेला की भूमि को सुरक्षित किया जाना भी आवश्यक है। सके अलावा प्रतिदिन हजारों की संख्या में भक्तगण माता मंदिर में माता के दर्शन हेतु भी जाते हैं।
यह कि टाईगर प्रोजेक्ट अंतर्गत बाघों को बसाने का कार्य स्वागत योग्य है किन्तु उससे पूर्व यदि माता मंदिर पहुंच मार्ग एवं मेला परिसर की भूमि को सुरक्षित नहीं किया जाता है तो भक्तों में काफी रोष उत्पन्न होगा जिसके चलते विशाल आंदोलन की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। इसके साथ ही उन्होंने आंदोलन की बात कहते हुए बताया है कि बीते वर्षो पूर्व में भी जब दो बार मंदिर पहुंच मार्ग बंद किया गया था तो भक्तों एवं आमजन द्वारा आंदोलन किया गया था किन्तु वर्तमान में परिस्थितियां भिन्न है, ऐसे में आंदोलन उग्र होने की भी प्रबल संभावना है। जिसके चलते मंदिर से जुडे लोगों ने कलेक्टर से रास्ता खुलवाने की मांग की है।
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