योगी आदित्यनाथ और राम नवमी।


कल उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने आगामी राम नवमी के अवसर पर हर जिले में रामायण पाठ हेतु एक एक लाख रुपये देने की घोषणा क्या की, सेक्यूलर रुदाली चालू हो गई। 

इस विषय पर बात करने के पहले आईये योगी आदित्यनाथ की चर्चा कर लेते हैं। 

तो सबसे पहले उनका परिचय थोड़ा विस्तार से -

लगातार सात वार गोरखपुर से सांसद रहे योगी आदित्यनाथ बीएससी पास हैं तथा महज 26 साल की उम्र में पहली सांसद बने। खास बात यह है कि उनकी चमत्कारी सफलता के पीछे केवल और केवल उनका कट्टर हिंदुत्व का एजेंडा हैं ।

ऐसा एजेंडा जिससे उनकी ताकत लगातार बढ़ती गई.

इतनी कि आखिरकार गोरखपुर में -

जो योगी कहे वही नियम है, वही कानून है.

तभी तो उनके समर्थक नारा भी लगाते हैं -

गोरखपुर में रहना है तो

योगी- योगी कहना होगा.

सभी जानते होंगे कि योगी आदित्यनाथ का असली नाम है अजय सिंह। वह मूल रूप से उत्तराखंड के रहने वाले हैं. गढ़वाल यूनिवर्सिटी से उन्होंने बीएससी की। 

गोरखपुर की पहचान गोरखनाथ मंदिर के महंत अवैद्यनाथ ने उन्हें दीक्षा देकर योगी बनाया था। जब अवैद्यनाथ जी ने 1998 में राजनीति से संन्यास लिया तो योगी आदित्यनाथ को ही अपना उत्तराधिकारी भी घोषित कर दिया। 

यहीं से योगी आदित्यनाथ की राजनीतिक पारी शुरू हुई। 1998 में गोरखपुर से12 वीं लोकसभा का चुनाव जीतकर योगी आदित्यनाथ संसद पहुंचे तो वह सबसे कमउम्र के सांसद थे। 

राजनीति के मैदान में आते ही योगी आदित्यनाथ ने सियासत की दूसरी डगर भी पकड़ ली उन्होंने हिंदू युवावाहिनी का गठन किया और धर्म परिवर्तन के खिलाफ मुहिम छेड़ दी। कट्टर हिंदुत्व की राह पर चलते हुए योगी विवादों में तो बने रहे, लेकिन उनकी ताकत लगातार बढ़ती गई। 

2007 में गोरखपुर में दंगे हुए तो योगी आदित्यनाथ को मुख्य आरोपी बनाया गया.गिरफ्तारी हुई और इस पर कोहराम भी मचा। योगी के खिलाफ कई अपराधिक मुकदमे भी दर्ज हुए। 

अब तक योगी आदित्यनाथ की हैसियत ऐसी बन गई थी कि फिल्मी स्टाइल में कहें तो जहां वो खड़े होते, वहाँ सभा शुरू हो जाती.वो जो बोल देते, उनके समर्थकों के लिए वो कानून हो जाता। 

योगी आदित्यनाथ के तौर-तरीकों का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने गोरखपुर के कई ऐतिहासिक मुहल्लों के नाम बदलवा दिए.

उर्दू बाजार हिंदी बाजार बन गया, अलीनगर आर्यनगर हो गया, मियां बाजार माया बाजार हो गया। इसके पीछे आदित्यनाथ का तर्क है कि - योगीराज गोरखनाथ की कर्मस्थली गोरखपुर की पहचान हिंदी से है उर्दू से नहीं, आर्य से है अली से नहीं। 

तो योगी के परिचय से समझ आ ही गया होगा कि राम नवमी पर बामयान पाठ का निहितार्थ क्या है ?

राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण शनेः शनेः पूर्णता की तरफ बढ़ रहा है, तो सिक्यूलरों के सीने पर सांप लोट रहा है। उसी कुंठा का परिणाम निकला स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे लोगों का राम चरित मानस विरोध। 

अब गांधी जी का जमाना तो है नहीं कि एक गाल पर तमाचा पड़े तो दूसरा गाल आगे कर दो। 

तो फिर योगी ने अपने हिसाब से जबाब दे दिया -

अब हर जिले में होगा शासकीय खर्च से राम चरित मानस का पाठ। 

जब देश का विभाजन धर्म के आधार पर हुआ, तो हिंदुस्तान में रामायण पाठ कौन रोक सकेगा ?

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