नरेंद्र मोदी सरकार के नौ साल - उपलब्धियां बेमिसाल



भांड़ा फूटा – 15 अगस्त 1947 की आधी रात भारत में ब्रितानी राजके अवशेषों का जो सत्ता कलश स्थापित हुआ था उसका मोदी राज में भांड़ाफूटा। झूठ एक्सपोज हुए, परिणाम स्वरुप गुलामी के प्रतीकों की विदाई हुई। 

भारत की विदेश नीति - भले ही गुलामी के प्रतीकों और गुलामी की मानसिकता से भारत मुक्त हुआ, उसके बाद भी पश्चिमी देशों से सम्बन्ध मैत्रीपूर्ण रहना अद्भुत कूटनीतिक सफलत है। यहाँ तक कि ओबामा-ट्रंप-बाइडन, औलांदे-मेक्रोन, आबे-किशिदा, स्कॉटमॉरिसन- अल्बानीज आदि पश्चिमी दिग्गज नरेंद्र मोदी से गले मिलकर, उन्हे ग्रेट या बॉस कहकर पुकारते नजर आये। इतना ही नहीं तो मोदी सरकार ने रूस को भी साधा हुआ है। 

चीन की दादागिरी पर लगाम - भारत की रक्षा-समारिक नीति में चीन पर स्थाई फोकस मोदी काल की बड़ी बात है। पहले पाकिस्तान केंद्रीत कूटनीति और सैनिक तैयारियां थी। अब दोनों सीमाओं को ले कर सैनिक-सामरिक तैयारियां है। इस बारे में सीमावर्ती इलाकों के इंफ्रास्ट्रक्चर, सैनिक चौकसी, कवायदों तथा सुरक्षा बलों के पुर्नगठन आदि के काम है तो वैश्विक साझा, खुफियाई सहयोग में जो हुआ है वह उल्लेखनीय है।

स्वदेश और स्वदेशी का विचार परवान चढ़ा – नरेंद्र मोदी से देश की सत्ता देशज व । लुटियन दिल्ली में प्रगतिशीलता, धर्मनिरपेक्षता, आधुनिकता का जो अंग्रेजीदां प्रभुवर्ग पंडित नेहरू ने बनाया था और विचार, विमर्श में समाजवादी, वामपंथी बुद्धीजीवियों और नौकरशाहों की जैसी मोनोपॉली थी वह या तो खत्म है या हाशिए में गई है । मोदी सरकार में सत्ता देशज बनी है। स्वदेश और राष्ट्रवाद आज बिमर्श का प्रमुख केंद्र बिंदु है।

राजकाज में हिंदी– भारत सरकार, पीएमओ, केबिनेट, राष्ट्रपति भवन, नार्थ-साउथ ब्लाक, संसद में हिंदी का सर्वत्र उपयोग, नौ वर्ष की बड़ी उपलब्धि है। यों नरेंद्र मोदी से पहले हिंदी दबी हुई नहीं थी लेकिन नौकरशाही और लुटियन दिल्ली के अंग्रेजीदा मीडिया ने हिंदी को बिना पॉवर की भाषा बनवाया हुआ था। किन्तु मोदी राज में हिंदी वोट और पॉवर का पर्याय है। इस सबका दूतावासों, कूटनीति, वैश्विक संवाद में धीरे-घीरे ही सही असर बन रहा है। 

धारा-370 का खात्मा– समाज, देश, व्यवस्था और विश्व सबको मैसेज के नाते बडी उपलब्धि। जम्मू-कश्मीर का पुर्नगठन और धारा-370 की समाप्ति का निर्णय यों भाजपा-संघ परिवार के एजेंडे का घोषित वादा था, किन्तु धारा-370 का फैसला इसलिए मील का पत्थर क्योंकि हर कोई मान रहा था कि ऐसा कर सकना राष्ट्र-राज्य के लिए संभव नहीं है। जबकि केंद्र सरकार के एक कागजी आदेश से ही धारा-370 लगने का फैसला हुआ था तो हटाने का फैसला भी चुटकी में संभव था वैसे ही जैसे हुआ है। उस नाते धारा—370 की समाप्ति मानों नामुमकिन का मुमकिन होना। और नतीजा भी सामने है - हिंसा और पथराव के युग का समापन। कश्मीर में सैलानियों का सैलाब। 

अखिल भारतीय परीक्षाएं- यह देश की शिक्षा व्यवस्था और घर-परिवार सभी के लिए दीर्घकालीन महत्व की बड़ी उपलब्धि है। आखिर मेडिकल, इँजीनियरिंग, एमबीए, कॉलेज-विश्वविद्यालयों दाखिले में बच्चों और अभिभावकों को जैसी गलाघोट भागदौड़-मेहनत में उलझे रहना होता था उससे मुक्ति तो मिलती हुई होगी। अखिल भारतीय स्तर की प्रवेश परीक्षाओं की नई व्यवस्था में कुछ कमिया हो सकती है। संविधान में शिक्षा के राज्य अधिकार का भी तर्क है बावजूद नई व्यवस्था के भविष्य में बहुत फायदे है।

नाम का जादू – पिछले प्रधानमंत्रियों और नरेंद्र मोदी का बुनियादी फर्क यह है कि नौ वर्षों की सतत सत्ता के बाद भी एंटी इंकम्बेंसी का कहीं अतापता नहीं है,मोदी नाम का आकर्षण कतई घटा नहीं है। आजादी के बाद भारत की हर सरकार शासन करते हुए लोगों के मोहभंग, नाराजगी, आंदोलनों, एंटी इस्टेबलिसमेंट के गुस्से का शिकार हुई। लोग निराश-हताश होते थे। लेकिन नरेंद्र मोदी की यह उपलब्धि है कि लोग पहले यह सोचते है कि यदि मोदी नहीं रहे तो क्या होगा ? या यह कि यदि मोदी नहीं होते तो अब तक क्या हो चुका होता? हालांकि मोदी जी की इस उपलब्धि में मुख्य कारक तत्व विपक्षी नेताओं की हरकतें ही कही जाएंगी, जिनका भारतीय जनता की नब्ज पर हाथ ही नहीं है।

और अंत में सबसे बड़ी उपलब्धि - कोरोना जैसी अभूतपूर्व महामारी का स्वदेशी बाक्सीन से मुकाबला करना, भारत की जनता की प्राण रक्षा करना, और वह भी तब, जबकि भटका हुआ विपक्ष लगातार उस बेक्सीन के बहिष्कार का आग्रह करता रहा। यह मोदी पर अटूट जान विश्वास ही तो था कि जनता ने कुंठा ग्रस्त विपक्ष की तुलना में आत्म विश्वास से भरे हुए मोदी पर ही भरोसा किया। मोदी जी देश की प्रतिभा पर भरोसा करते हैं और जनता उन पर। 

साभार आधार - नया इंडिया। 

आलोचना में लिखे गए श्री हरिशंकर जी व्यास के लेख में से निकाले सकारात्मक तथ्य -

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