करप्शन दुधारी तलवार - क्या कांग्रेस दूध की धुली है ?



भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार श्री राघवेंद्र सिंह का नया इण्डिया (६-६-२३) में प्रकाशित प्रभावी आलेख 

मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर लीडर और उनकी पार्टियां गियर बदल रही हैं। करप्शन के मुद्दे पर कर्नाटक की जीत से उत्साहित कांग्रेस भाजपा को बैकफुट पर धकेल रही है। करप्शन दुधारी तलवार है और चतुर सुजान दिग्विजय सिंह इसे लेकर भाजपा पर हमलावर बने हुए हैं। हालांकि वे दावा भी नहीं कर रहे हैं कि कांग्रेस सरकार में आई तो कम से कम मंत्री और उनका स्टाफ एकदम ईमानदार होगा। करप्शन पर कांग्रेस जीरो टॉलरेंस की पॉलिसी पर काम करेगी। क्योंकि जनता का सीधा सवाल होगा कि अगर भाजपा सरकार बेईमान है तो कांग्रेस के नेता हरिश्चंद्र भले न हों, क्या ईमानदार सरकार देंगे ? जैसे पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार ने रिश्वत खोरी की शिकायत के लिए टोल फ्री नंबर जारी किये हैं, और इस मुद्दे पर मंत्रियों को हटाया भी है, क्या कांग्रेस बैसा कुछ करेगी ?

पंजाब में मंत्री भले ही निबटे मगर थोड़े समय के लिए ही सही जनता में धारणा बनने लगी कि करप्शन की शिकायत में मंत्री की बर्खास्तगी भी हो सकती है। कोई कुछ भी कहे इसके लिए बड़ा कलेजा चाहिए। कांग्रेस को इसका उत्तर देना कठिन है। क्योंकि कांग्रेस छोड़ शिव सत्कार में मंत्री बने नेतागण भाजपा को भी हलकान किये हुए हैं। भाजपा में भी सब ईमानदार हों, ऐसा नहीं है, लेकिन वे पार्टी के इस नारे का थोड़ा लिहाज तो करते ही हैं -

भय, भूख, न भ्रष्टाचार - हम देंगे ऎसी सरकार। 

इसलिए कांग्रेस ने कर्नाटक सरकार में चालीस प्रतिशत कमीशन लेने के आरोप को एम पी में पचास प्रतिशत तक ले जाने के आरोप जनता के बीच ले जाने की रणनीति बनाई है। यह अलग बात है कि पंद्रह महीने की कांग्रेस सरकार पर भी करप्शन के खूब आरोप लगे थे। इतना ही नहीं तो ब्यापम से लेकर सिंहस्थ, ई टेंडरिंग घोटाले, और अवैध रेत उत्खनन जैसे घोटालों पर न केवल चुप्पी साधी, बल्कि क्लीन चिट भी दे डाली थी। इससे करप्शन के मुद्दे पर कांग्रेस की करनी और कथनी पर सवाल उठे और कार्यकर्ताओं व जनता के बीच उसके प्रति विश्वास कमजोर पड़ गया था। इस दुधारी तलवार के साथ कांग्रेस को साफ़ सुथरी सरकार देने का वादा भी करना पडेगा। उनके मंत्री विधायकों को ईमानदार दिखने के साथ ईमानदार होना भी पडेगा। यह सब "आग का दरिया है, और डूब कर जाना है", जैसा कठिन काम होगा। 

बहरहाल कांग्रेस के आरोपों पर डिफेंसिव हुई भाजपा की तरफ से अभी तक कोई नियोजित प्रभावी प्रतिकार नहीं हुआ है। पार्टी की चुप्पी उनके रणनीतिकारों के कमजोर होने की निशानी है। फिलहाल तो कांग्रेस को लाभ मिल रहा है। 

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