क्या संसद में पास होने जा रहा है महिला आरक्षण बिल ?



जी हाँ देश के जाने माने पत्रकार व स्तम्भ लेखक श्री श्रवण गर्ग ने तो समाचार पत्र नया इंडिया में यही संभावना जताई है। उनके अनुमान का आधार है सेन्ट्रल बिस्टा अर्थात नया संसद भवन, जिसमें लोकसभा सीटों की संख्या 543 से बढ़ाकर 888 और राज्यसभा सीटों की संख्या 245 से बढाकर 384 कर दी गई है। श्री गर्ग का मानना है कि 2010 से लंबित महिला आरक्षण बिल अब कभी भी पेश किया जा सकता है। चूंकि पुराना विधेयक तब की संसद के अवसान के साथ लेप्स हो चुका है, अतः नया विधेयक आएगा जो संभवतः पुराने जैसा ही नहीं होगा। 

श्री श्रवण गर्ग पिछले दिनों हुई जनता दल यू सांसद रघुवंश प्रसाद सिंह और नीतीश कुमार की दो घंटे चली मुलाकात को भी भाजपा की इसी संभावित तैयारी से जोड़कर देख रहे हैं। स्मरणीय है कि हरिवंश बाबू कहने को तो जनता दल यू के राज्य सभा सांसद हैं, किन्तु भाजपा के साथ केंद्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। वे राज्य सभा के उप सभापति हैं। 

जो नया बिल आएगा, उसमें बताया जा रहा है कि 543 सीटों पर तो चुनाव पूर्व की तरह ही होंगे, लेकिन लोकसभा में महिलाओं के लिए 280 नई सीटें जोड़ दी जाएंगी। ख़ास बात यह कि इन 280 सीटों पर चुनाव नहीं होंगे, बल्कि लोकसभा चुनावों में राजनैतिक दलों को जो भी वोट शेयर प्राप्त होगा, उसके ही अनुपात में इन दलों की महिलाओं को इन 280 सीटों में स्थान मिल जाएगा। इसके लिए इन राजनैतिक दलों को महिलाओं की सूची प्राथमिकता के क्रम में सौंपनी होगी। मतलब यह कि पिछड़ों की राजनीति करने वाले समाजवादी, राजद या जनतादल यू जैसे दल पिछड़े वर्ग की अधिक महिलाओं को इन सीटों पर भेज सकेंगे। 

स्मरणीय है कि पिछली बार जब यह विधेयक सामने आया था तो उसका सबसे मुखर विरोध राजद वा जनतादल यू ने पिछड़े वर्ग की महिलाओं के नाम पर ही किया था। 

अगर सचमुच विधेयक का स्वरुप यही होता है तो इसमें भाजपा और कांग्रेस दोनों को ही फायदा है। 2019 के चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर 19.49 प्रतिशत रहने के बावजूद उसे सीटें केवल 52 ही प्राप्त हुई थीं। अगर आनुपातिक प्रतिनिधित्व के साथ महिला आरक्षण उस समय होता तो उसकी सीटें भी बढ़ जातीं और उसे विपक्ष का नेता बनने का अवसर भी मिल जाता। 

श्री गर्ग का मानना है कि भाजपा की सीटें 2024 में भले ही कुछ कम भी हो जाएँ, लेकिन उसका वोट शेयर नहीं घटने वाला। कर्नाटक में भी तो हाल के विधान सभा चुनाव में यही देखने में आया है। महिला आरक्षण से भाजपा को दो प्रकार से फायदा है।  एक तो महिलाओं में उसकी लोकप्रियता में वृद्धि और दूसरा लम्बे समय तक सत्ता में बने रहने के अवसर। अब देखना यह है कि महिला आरक्षण विधेयक कब - कैसे और किस शक्ल में पेश होता है। 

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