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शिवपुरी मीट मार्केट: अव्यवस्था और असामाजिक गतिविधियों का अड्डा

 

कमलागंज और फिजिकल क्षेत्र को जोड़ने वाला शॉर्टकट, जो शिवपुरी की व्यस्त सड़कों में से एक है, एक गंभीर समस्या का केंद्र बन चुका है। यहां स्थित मीट मार्केट न केवल स्थानीय निवासियों के लिए असुविधा का कारण बन रहा है, बल्कि शहर की छवि को भी धूमिल कर रहा है। यह बाजार अनियमितता, अतिक्रमण, और अवैध गतिविधियों का अड्डा बन गया है, जहां हर दिन हजारों नागरिकों को गंदगी, बदबू और असुरक्षा का सामना करना पड़ता है।


इस बाजार में मांस विक्रेता खुले में मीट बेचते हैं, जो स्वच्छता और स्वास्थ्य नियमों का खुला उल्लंघन है। मीट के अवशेषों को नालों में फेंक दिया जाता है, जिससे गंदगी और दुर्गंध फैलती है। यह दुर्गंध आसपास के लोगों के लिए असहनीय हो जाती है, खासकर उन शाकाहारी नागरिकों के लिए जो इस रास्ते से गुजरने के लिए मजबूर होते हैं। इस स्थिति का सबसे बड़ा प्रभाव यह है कि आवारा कुत्तों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।


सितंबर के महीने में इसी बाजार के पास एक 7 वर्षीय बालक पर आवारा कुत्तों के झुंड ने हमला कर दिया था। इस घटना में बालक गंभीर रूप से घायल हो गया, और यह समस्या की गंभीरता को उजागर करने के लिए काफी है। कुत्तों की यह बढ़ती संख्या न केवल बच्चों के लिए खतरा है, बल्कि यह हर आयु वर्ग के नागरिकों के लिए एक बड़ा जोखिम बन चुकी है।


मीट मार्केट की एक और गंभीर समस्या अतिक्रमण है। नगर पालिका ने कई बार इस क्षेत्र से अतिक्रमण हटाने के अभियान चलाए, लेकिन प्रत्येक बार यह समस्या फिर से उत्पन्न हो जाती है। विक्रेताओं द्वारा बाजार की सड़कों और फुटपाथों पर कब्जा कर लिया जाता है, जिससे न केवल यातायात बाधित होता है, बल्कि स्थानीय नागरिकों और राहगीरों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।


मांस विक्रेताओं द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले वाहन बाजार के आसपास खड़े रहते हैं, जिससे सड़कें संकरी हो जाती हैं और यातायात की समस्या गंभीर हो जाती है। खासकर शाम के समय यह क्षेत्र अत्यधिक भीड़भाड़ वाला हो जाता है। यहां से गुजरने वाले वाहनों और पैदल यात्रियों को जाम और असुविधा का सामना करना पड़ता है।


इस बाजार में खुले में लगने वाली अंडे और बिरयानी की ठेलियां भी समस्या का कारण बन रही हैं। इन ठेलियों से न केवल दुर्गंध फैलती है, बल्कि इनकी आड़ में अवैध गतिविधियां भी चल रही हैं। अवैध शराबखोरी और असामाजिक तत्वों की मौजूदगी ने इस क्षेत्र को और अधिक खतरनाक बना दिया है।


कुछ दिन पहले इसी बाजार के पास सेंट्रल बैंक के एटीएम को एक शराबी ने दिनदहाड़े तोड़ दिया। यह घटना इस इलाके में बढ़ती असामाजिक गतिविधियों और अपराधों की ओर इशारा करती है। यह स्पष्ट है कि यह बाजार अब केवल व्यापार का केंद्र नहीं रहा, बल्कि अपराध और अनियमितता का गढ़ बन चुका है।


मीट मार्केट में हेल्थ क्लब के नाम पर बोर्ड लगाए गए हैं, लेकिन यहां स्वच्छता और स्वास्थ्य नियमों का खुलेआम उल्लंघन होता है। इन बोर्डों के नीचे पशुओं को रखा जाता है, और इन पशुओं को लाने और ले जाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले वाहनों से क्षेत्र में गंदगी फैलती है।


इस स्थिति को देखते हुए प्रशासन की उदासीनता और नागरिकों की परेशानियां स्पष्ट रूप से सामने आती हैं। नगर पालिका के निरीक्षणों और कार्रवाई के बावजूद स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। यह बाजार एक उदाहरण है कि कैसे प्रशासनिक लापरवाही और सामाजिक असंवेदनशीलता मिलकर एक गंभीर समस्या को जन्म देती हैं।


मीट मार्केट की समस्या केवल प्रशासनिक नहीं है; यह सामाजिक जिम्मेदारी का भी विषय है। इस समस्या का समाधान तभी संभव है जब स्थानीय नागरिक, व्यापारी और प्रशासन मिलकर काम करें। इस बाजार को व्यवस्थित करने के लिए ठोस और दीर्घकालिक योजनाएं बनाई जानी चाहिए। इसके लिए मांस विक्रेताओं को वैकल्पिक स्थान प्रदान करना, बाजार के पुनर्विकास के लिए योजना बनाना, और असामाजिक गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए पुलिस गश्त बढ़ाना आवश्यक है।


इस बाजार की स्थिति एक चेतावनी है कि यदि तुरंत ध्यान नहीं दिया गया, तो यह न केवल स्थानीय नागरिकों के लिए और अधिक असुविधा का कारण बनेगा, बल्कि शहर की प्रतिष्ठा को भी नुकसान पहुंचाएगा। समय रहते कार्रवाई करना आवश्यक है ताकि यह क्षेत्र स्वच्छ, सुरक्षित और व्यवस्थित बन सके।

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