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सुनो, पहलगाम की वादी चीख रही है - पं. कपिल देव मिश्रा

 

पहाड़ों की शांत चादर ओढ़े कश्मीर की घाटी, आज फिर बारूद की आग में जल उठी। चिड़ियों की चहचहाहट को गोली की गूंज ने कुचल दिया। 28 निर्दोष, बस इसलिए क्योंकि वे हिंदू थे... उनके माथे पर तिलक था, उनके मन में राम था। 22 अप्रैल का दिन, पहलगाम की वह दोपहर अब केवल कैलेंडर की तारीख नहीं रही — वह एक त्रासदी बन गई है, एक ललकार बन गई है।

इस अमानवीय, कायरतापूर्ण इस्लामिक आतंकवादी हमले पर अंतर्राष्ट्रीय जिझौतिया ब्राह्मण महासंघ की केंद्रीय धर्मसंसद ने न केवल गहरा क्षोभ और शोक व्यक्त किया, बल्कि पूरे देश की आक्रोशित आत्मा को स्वर देते हुए संकल्प लिया है — अब नहीं सहेंगे। अब और सहन करना, अपनी आत्मा को कलंकित करना होगा।

तीन दशक बीते, और हर दशक में रक्त बहा — कब तक? कितने और पहलगाम? कितने और शव? महासंघ की धर्मसंसद में 30 घंटे चली विचार-चर्चा के बाद जो निंदा प्रस्ताव पारित हुआ, वह केवल शब्दों का दस्तावेज़ नहीं, बल्कि यह वह क्रोध है जो अब किसी निर्णय की प्रतीक्षा में नहीं है — यह वह निर्णायक पल है जब भारत को अपने भीतर की वीरता को फिर से पुकारना है।

धर्मसंसद ने साफ कहा — समय आ गया है, पाकिस्तान से अधिकृत कश्मीर को वापस लेने का। यह केवल भूभाग नहीं, बल्कि उन चीत्कार करते हिन्दू परिवारों की आत्मा का पुनर्जन्म होगा।

भारत सरकार के कुछ कदम जैसे सिंधु जल समझौते को समाप्त करना, पाकिस्तानी नागरिकों को वापस भेजना, अटारी गेट बंद करना, दूतावास की सैन्य इकाई बंद करना — ये शुरुआत हैं, पर अंत नहीं। जब तक आतंकिस्तान की रीढ़ नहीं तोड़ी जाती, तब तक शांति केवल एक छलावा है।

महासंघ ने गूंजती वाणी में यह प्रश्न रखा — यदि आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता, तो हर बार, हर बार एक ही मजहब क्यों खड़ा होता है इस हिंसा के पीछे? क्यों हर बार जेहादी सोच ही मानवता की चीरहरण करती है? क्यों मुर्शिदाबाद से लेकर बांग्लादेश तक, सुनियोजित ढंग से हिंदुओं का ही रक्त बहाया जाता है?

यह प्रश्न अब केवल किसी सभा का विषय नहीं — यह अब राष्ट्र की आत्मा की मांग है।

अंतर्राष्ट्रीय जिझौतिया ब्राह्मण महासंघ केवल ब्राह्मणों की सेवा संस्था नहीं — यह सनातन के हर जागरूक नागरिक की चेतना है। जब कट्टरपंथ का घना अंधकार छाने लगे, तब धर्मसंसद की पुकार दीपशिखा बन जाती है।

और आज उसी दीप से निकली ज्वाला कह रही है — निर्णय लो। उठो। अब नहीं रुको।

देश तैयार है। समाज तैयार है। बस सरकार भी वो करे, जिसके लिए वह जानी जाती है।

धर्मसंसद की यह वाणी कोई अपील नहीं, यह एक युद्धघोष है — सत्य के लिए, न्याय के लिए, और उन 28 निर्दोष आत्माओं के लिए जो अब इतिहास की गवाही बन गई हैं।

— अंतर्राष्ट्रीय जिझौतिया ब्राह्मण महासंघ


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