ऑपरेशन सिंदूर – भारत की रणनीतिक विजय और नव विश्व व्यवस्था की नींव - डॉ. अमरीक सिंह ठाकुर
1
टिप्पणियाँ
भारत ने यथास्थिति को चुनौती दी, और नव विश्व व्यवस्था की पटकथा लिखी
ऑपरेशन सिंदूर ने भारत की सैन्य शक्ति, रणनीतिक सोच और आत्मनिर्भरता को प्रदर्शित किया है। इस अभियान ने न केवल पाकिस्तान को उसकी आक्रामक नीतियों के लिए करारा जवाब दिया, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति को भी मजबूत किया है।भारत खुलकर कह रहा है… हम उस तथाकथित न्यूक्लियर ब्लैकमेलिंग वाले दौर से बाहर आ चुके हैं अब। भारत ने 2025 में 'ऑपरेशन सिंदूर' के माध्यम से एक ऐसे सैन्य इतिहास की रचना की है जो न केवल भारतीय उपमहाद्वीप की भू-राजनीतिक दिशा को परिभाषित करता है, बल्कि आने वाले दशकों के लिए सामरिक रणनीतियों की दिशा भी तय करता है। यह ऑपरेशन न केवल प्रतिरोध की रणनीति थी, बल्कि यह आत्मनिर्भर भारत की सैन्य और कूटनीतिक क्षमता का सशक्त प्रदर्शन भी था।आतंकवाद के विरुद्ध निर्णायक प्रहार, ऑपरेशन सिंदूर का सबसे प्रमुख पहलू रहा— पाकिस्तान के आतंकवादी ढांचे का पूर्णत: ध्वंस। लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों के नियंत्रण केंद्रों पर किए गए प्रहारों ने वर्षों से पोषित आतंकवादी नेटवर्क की रीढ़ तोड़ दी। पाकिस्तान में स्थित इन संगठनों के प्रमुख ट्रेनिंग कैंपों, हथियार डिपो और संचालन इकाइयों को लक्षित कर भारतीय सेना ने यह स्पष्ट कर दिया कि अब "सर्जिकल स्ट्राइक" और "एयर स्ट्राइक" से आगे बढ़कर भारत पूर्ण सैन्य समन्वय से काम करेगा।यह पहली बार हुआ कि भारत ने आतंकियों को संरक्षण देने वाली देश की सरकारी और सैन्य संरचनाओं को भी अपनी कार्रवाई में सम्मिलित किया, जिससे पाकिस्तान को न केवल सामरिक बल्कि राजनयिक स्तर पर भी करारी हार झेलनी पड़ी।पाकिस्तान की वायुसेना की रीढ़ टूटी, ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने अपने नवीनतम मिसाइल और एरियल सिस्टम का प्रभावी प्रयोग करते हुए पाकिस्तान की वायुसेना के 13 में से 11 प्रमुख एयरबेसों को ब्रह्मोस और स्कैल्प क्रूज मिसाइलों से निशाना बनाया। सैटेलाइट चित्रों और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्टों के अनुसार, पाक वायुसेना की लगभग 20% क्षमता इस ऑपरेशन में नष्ट हो गई। आधुनिक ड्रोन प्रणाली, सटीक लक्ष्य निर्धारण और क्रॉस-डोमेन समन्वय के चलते भारत ने युद्ध के बिना ही शत्रु की युद्ध क्षमता को निष्प्रभावी कर दिया।
भारत द्वारा हाल ही में संचालित 'ऑपरेशन सिंदूर' एक व्यापक और रणनीतिक सैन्य अभियान था, जिसमें पाकिस्तान के 09 आतंकवादी ढांचे और 11 सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया गया। इस ऑपरेशन में भारत ने अपनी सैन्य क्षमताओं का प्रभावशाली प्रदर्शन किया, जिससे पाकिस्तान को भारी नुकसान उठाना पड़ा। भारत और पाकिस्तान के हालिया सैन्य संघर्ष ने एक नई विश्वभू-राजनीतिक धारा को जन्म दिया है। यह सिर्फ दो परमाणु संपन्न राष्ट्रों की पारंपरिक सैन्य भिड़ंत नहीं थी, बल्कि यह भारत द्वारा रचित एक वैश्विक शक्ति संतुलन की पुनर्व्याख्याथी । "ऑपरेशन सिंदूर" के माध्यम से भारत ने जिस तरह से पाकिस्तान को सैन्य, आर्थिक और मनोवैज्ञानिक स्तर पर पराजित किया, उसी में छिपा है भारत के उदयशील वैश्विक नेतृत्व की झलक।इस पूरे संघर्ष के केंद्र में था तुर्किये का पाकिस्तान के पक्ष में खुला हस्तक्षेप – ड्रोन आपूर्ति और आतंक-समर्थन तंत्र में भूमिकायही भारत के लिए ‘सॉफ्ट पावर’ के मोर्चे पर निर्णायक प्रतिक्रिया की भूमिका बना और भारत ने तुर्किये को हर संभव आयाम में उत्तर दिया – रणनीतिक, राजनयिक, सैन्य और आर्थिक।अंतरराष्ट्रीय प्रभाव और अमेरिकी भूमिका पर प्रश्नचिन्ह, ऑपरेशन सिंदूर के पश्चात वैश्विक राजनयिक समीकरण भी बदले। अमेरिका द्वारा मध्यस्थता की पेशकश और पाकिस्तान के किरणा हिल्स जैसे परमाणु ठिकानों की सुरक्षा में उसकी अप्रत्यक्ष भूमिका ने यह स्पष्ट कर दिया कि ‘रणनीतिक सहयोगी’ की अवधारणा व्यवहारिक राजनीति में जटिलताओं से ग्रस्त है। भारत ने अमेरिका समर्थित एयर डिफेंस सिस्टम को भी निष्क्रिय कर, एक संदेश दिया कि वह अब आत्मनिर्भर और निर्णयात्मक शक्ति के रूप में उभर चुका है।
आतंकवादी ढांचे का विध्वंस,भारतीय सेना ने लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के कई ठिकानों को नष्ट किया, जिसमें 7-9 शीर्ष आतंकवादी नेता मारे गए।सैटेलाइट चित्रों में इन ठिकानों की पूर्ण तबाही स्पष्ट रूप से देखी गई।पाकिस्तानी वायुसेना को भारी क्षति, पाकिस्तानी वायुसेना के 20% इंफ्रास्ट्रक्चर को नष्ट किया गया, जिसमें कई फाइटर जेट्स और एयरबेस शामिल हैं। ब्रह्मोस और स्कैल्प क्रूज मिसाइलों का उपयोग कर 13 में से 11 प्रमुख एयरबेस तबाह किए गए। उन्नत मिसाइल रक्षा प्रणाली का प्रदर्शन,भारत की 'सुदर्शन चक्र' प्रणाली ने पाकिस्तान द्वारा दागी गई 8 मिसाइलों को सफलतापूर्वक निष्क्रिय किया। BMD शील्ड ने पाकिस्तान की शाहीन-2 बैलिस्टिक मिसाइल को हवा में ही नष्ट कर दिया, जिससे भारत की राजधानी दिल्ली सुरक्षित रही। आतंकवादी प्रशिक्षण शिविरों पर हमला, भारतीय सेना ने M-777 हॉवित्जर तोपों और लॉइटरिंग एम्युनिशन का उपयोग कर आतंकियों के 7 कैंपों को निशाना बनाया। रणनीतिक क्षेत्रों में सफलता,पीओके की लीपा वैली में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सैन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया, जिससे उनकी सैन्य गतिविधियों पर 8 से 12 महीनों तक गंभीर असर पड़ा।
भारत-पाक संघर्ष के दौरान अनूपगढ़, राजस्थान में मिला तुर्किये निर्मित जिंदा ड्रोन न सिर्फ एक सबूत है, बल्कि यह तुर्किये-पाकिस्तान की गुप्त सैन्य साझेदारी को उजागर करने वाला भौतिक प्रमाण है। मात्र 12 किलोमीटर की दूरी पर पाकिस्तान सीमा के नजदीक वन विभाग की नर्सरी में मिला यह ड्रोन विस्फोटकों से लैस था। यह भारत की सतर्कता और तकनीकी क्षमता का परिणाम था कि इसे बिना किसी जनहानि के जब्त कर लिया गया।इस घटना के बाद भारत में तुर्किये के प्रति असंतोष और विरोध की लहर तेज़ हुई। उच्च शिक्षण संस्थानों द्वारा MoU समाप्त करना, तुर्क फर्मों जैसे सेलेबी का सुरक्षा क्लीयरेंस रद्द होना और आम जन द्वारा तुर्किये यात्रा तथा व्यापार का बहिष्कार – यह दर्शाता है कि भारत अब केवल सैन्य नहीं, जन-नीति और कूटनीति के स्तर पर भी संगठित प्रतिक्रिया देने में सक्षम है।तुर्किये की स्थिति और भारत का दखल, तुर्किये के लिए भारत का हथियार निर्यात एक नयी चुनौती बन गया है। पश्चिम में बुल्गारिया और पूर्व में आर्मीनिया के साथ तुर्किये की सीमा विवाद और सुरक्षा चिंता के बीच भारत ने आर्मीनिया को अत्याधुनिक हथियार देकर तुर्की के विस्तारवाद को सीधी चुनौती दी है।भारत द्वारा दी गई तकनीक और हथियारों ने अज़रबैजान की बढ़त को रोक दिया है, और तुर्किये की रणनीति को फेल किया है। इससे साफ है कि भारत अब एक क्षेत्रीय शक्ति नहीं, बल्कि वैश्विक सामरिक नीति निर्माता बन गया है।
आंतरिक सुरक्षा पर समांतर प्रहार, ऑपरेशन सिंदूर की सफलता में भारत की आंतरिक सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका भी अत्यंत महत्वपूर्ण रही। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में पाकिस्तान समर्थित जासूसी नेटवर्क को निष्क्रिय किया गया। यह संकेत है कि भारत अब केवल सीमा पार से आए खतरों पर नहीं, बल्कि देश के भीतर पल रहे 'स्लीपर सेल्स' पर भी त्वरित और कठोर कार्रवाई करने को तैयार है।आंतरिक सुरक्षा में सख्ती, भारत ने देश के भीतर पाकिस्तान समर्थित जासूसी नेटवर्क पर भी कठोर कार्रवाई की है, पंजाब, हरियाणा, उड़ीसा और उत्तर प्रदेश में ISI से जुड़े कई एजेंटों और यूट्यूबर्स को गिरफ्तार किया गया।हरियाणा से हरकीरत सिंह को ISI के संपर्क में होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।राजस्थान और असम में भी ISI से जुड़े व्यक्तियों की गिरफ्तारी हुई, जो पाकिस्तान को संवेदनशील जानकारी भेज रहे थे।अंतरराष्ट्रीय प्रभाव,ऑपरेशन सिंदूर के बाद अमेरिका की भूमिका पर भी सवाल उठे हैं, पाकिस्तान के किरणा हिल्स में स्थित परमाणु ठिकानों पर भारत द्वारा किए गए हमलों के बाद अमेरिका ने मध्यस्थता की पेशकश की, जिससे उसकी निष्पक्षता पर संदेह उत्पन्न हुआ।यह सामने आया कि किरणा हिल्स की सुरक्षा के लिए सरगोधा एयरबेस में अमेरिकी वायुरक्षा प्रणाली तैनात थी, जिसे भारत ने रुद्रम मिसाइल से नष्ट कर दिया।ऑपरेशन सिंदूर ने भारत की सैन्य शक्ति, रणनीतिक सोच और आत्मनिर्भरता को प्रदर्शित किया है। इस अभियान ने न केवल पाकिस्तान को उसकी आक्रामक नीतियों के लिए करारा जवाब दिया, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति को भी मजबूत किया है।
ऑपरेशन सिंदूर: एक निर्णायक सैन्य पराक्रम, इस पूरे सैन्य कार्रवाई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया गया – एक ऐसा नाम जो सिर्फ रणभूमि पर विजय का नहीं, बल्कि भारत की राष्ट्रीय गरिमा और अंतःप्रेरणा का प्रतीक है। भारतीय वायुसेना द्वारा आतंकी ठिकानों को निशाना बनाना, 8-9 बड़े आतंकी सरगनाओं को ढेर करना और पाकिस्तान की एयर डिफेंस प्रणाली को पंगु बनाना – यह सब रणनीतिक सैन्य श्रेष्ठता का उदाहरण है।भारतीय वायुसेना के पास पाकिस्तानी विमानों (AWACS, F-16, मिराज III & V, JF-17) को मार गिराने के स्पष्ट सबूत हैं। पाकिस्तान की एयरफोर्स की लगभग 20% युद्ध क्षमता इस कार्रवाई में नष्ट हो गई – और यह सिर्फ हवाई लड़ाई नहीं थी, बल्कि हैंगर में खड़े विमानों का भी विध्वंस हुआ।रक्षा तकनीक में आत्मनिर्भर भारत का सशक्त प्रदर्शन, सफलता का दूसरा बड़ा कारण रहा— भारत की स्वदेशी मिसाइल रक्षा प्रणाली ‘सुदर्शन चक्र’ और बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस (BMD) शील्ड। पाकिस्तान द्वारा दिल्ली व जम्मू को निशाना बनाकर छोड़ी गई शाहीन-2 मिसाइल को हवा में ही ध्वस्त कर भारतीय रक्षा तकनीक की उत्कृष्टता को वैश्विक मंच पर प्रमाणित किया गया। इससे न केवल आम नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित हुई, बल्कि यह भी स्पष्ट हुआ कि अब भारत केवल आक्रामक नहीं बल्कि रक्षात्मक रणनीतियों में भी तकनीकी रूप से विश्वस्तरीय हो चुका है।
सिंदु जल समझौता – जल को हथियार बनाना, इस ऑपरेशन की सबसे मर्मांतक और दीर्घकालीन मारक रणनीति रही सिंधु जल पर नियंत्रण। सिंधु जल संधि पर पुनर्विचार: कूटनीतिक दबाव की रणनीति, सैन्य कार्रवाई के साथ-साथ भारत ने एक अत्यंत चतुर कूटनीतिक कदम उठाया— सिंधु जल संधि की समीक्षा। जल जैसे जीवनदायी संसाधन को अब तक भारत ने मानवतावादी दृष्टिकोण से देखा था, लेकिन जब पड़ोसी देश इसका उपयोग आतंक को पोषित करने में करे, तब इस पर पुनर्विचार अपरिहार्य हो जाता है। सिंधु नदी प्रणाली पर पुनर्नियंत्रण से भारत ने स्पष्ट कर दिया कि वह केवल युद्धभूमि पर ही नहीं, आर्थिक और पारिस्थितिकीय मोर्चों पर भी कठोर निर्णय लेने को तैयार है।पाकिस्तान की कृषि और जीवनरेखा मानी जाने वाली सिंधु नदी पर भारत द्वारा 10–15% जल प्रबंधन की शुरुआत ने पाकिस्तानी तंत्र को हिला दिया। यह कदम भले ही तत्कालिक दृष्टि में सामान्य लगे, पर अगले 2-3 वर्षों में इसके प्रभाव से पाकिस्तान का सामाजिक और आर्थिक ढांचा बुरी तरह प्रभावित होगा।पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो के वक्तव्य "दरिया-ए-सिंध में या तो हमारा पानी बहेगा या उनका खून" का उत्तर भारत ने कूटनीतिक कौशल और तकनीकी चातुर्य से दिया। अब दरिया-ए-सिंध का पानी भारत की ज़मीन सींचेगा और पाकिस्तान की रक्तहीनता का कारण बनेगा।पीओके में सैन्य प्रभुत्व और मनोवैज्ञानिक विजय, ऑपरेशन सिंदूर का एक और पहलू जो भारत की दीर्घकालिक रणनीति की ओर संकेत करता है, वह था पीओके में लीपा घाटी जैसे क्षेत्रों में पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों को ध्वस्त करना। इससे पाकिस्तान की सीमावर्ती लॉजिस्टिक क्षमताओं को 8 से 12 महीने तक के लिए पंगु कर दिया गया। यह कार्यवाही केवल सैन्य शक्ति का प्रदर्शन नहीं थी, बल्कि यह भारत के उस संकल्प की पुष्टि थी कि वह अपने वैध क्षेत्रीय दावों को लेकर अब प्रतीक्षा नहीं करेगा।
भारत का उदय – वैश्विक सैन्य बाज़ार में नए सम्राट का आगमन, "ब्रहमोस", "पिनाका", "आकाश" जैसे प्रसिद्ध हथियारों के अतिरिक्त आज सबसे अधिक मांग ATAGS – Advanced Towed Artillery Gun System की है। भारत फोर्ज द्वारा निर्मित यह तोप 155mm, 52-कैलिबर की दुनिया की सबसे शक्तिशाली होवित्जर है, जो एक मिनट में 5 गोले दाग सकती है।पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा पाँच वर्षों तक इसकी टेस्टिंग रोकी गई थी, लेकिन मनोहर पर्रिकर और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इसे न केवल सेना में शामिल किया गया, बल्कि आज यह दर्जनों देशों में निर्यात के लिए तैयार खड़ी है। अफ्रीका से लेकर यूरोप और दक्षिण अमेरिका तक भारत के रक्षा उपकरणों की डिमांड एक नए रक्षा आर्थिक शक्ति केंद्र के उदय को रेखांकित करती है।डिप्लोमेसी की नई भाषा – भारत की 'सॉफ्ट पावर' की विजय, आज भारत केवल युद्ध में नहीं, बल्कि विश्व मंच पर कूटनीति, शांति स्थापना और सांस्कृतिक नेतृत्व में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है। तुर्किये जैसे राष्ट्रों द्वारा समर्थित अवैध गतिविधियों को न केवल सैन्य स्तर पर कुचला गया, बल्कि आर्थिक और राजनयिक रूप से भी भारत ने उन्हें वैश्विक मंच पर अलग-थलग किया।भारत द्वारा आर्मीनिया को रक्षा सहयोग देना – आकाश मिसाइल, पिनाका, ATAGS – यह तुर्की और अज़रबैजान जैसे विस्तारवादी देशों के लिए रणनीतिक संकेत है। ब्रह्मोस मिसाइल की सप्लाई रूस की संधियों के कारण फिलहाल बाधित है, लेकिन भारत इसका भी विकल्प दे रहा है।
भारत का नेतृत्व और पाकिस्तान का मार्गदर्शक मंडल मज़ाक, जहाँ भारत ने अपने पुराने नेताओं के लिए मार्गदर्शक मंडल बनाकर राजनीति को नई ऊर्जा दी, वहीं पाकिस्तान ने आसिम मुनीर को फील्ड मार्शल बना एक विफल सैन्य नेता को सम्मान देकर अपनी फौज की विफलता को सार्वजनिक किया। आज पाकिस्तान की सेना खुद "फ़ौज का पाकिस्तान" बन गई है, जहाँ लोकतंत्र और जनाकांक्षाएं पीछे छूट गई हैं।मुनीर को रिटायर कर फार्महाउस भेज देना इस विफल नेतृत्व का प्रत्यक्ष प्रमाण है। इस बीच भारत ने रणनीतिक नेतृत्व, सैन्य आधुनिकता और वैश्विक सौम्यता के साथ एक नई विश्व व्यवस्था की नींव रख दी है।"ऑपरेशन सिंदूर" केवल पाकिस्तान को सबक सिखाने का नाम नहीं था, यह भारत के वैश्विक पुनःउदय की घोषणा थी। सैन्य स्तर पर निर्णायक, कूटनीतिक स्तर पर सटीक, आर्थिक मोर्चे पर व्यवस्थित और रणनीतिक मोर्चे पर आक्रामक भारत ने एक नई वर्ल्ड ऑर्डर को जन्म दिया है – जहाँ भारत महाशक्ति के रूप में उभर रहा है। वर्ष 2029 में भारत के नेतृत्व में जब एक नया दक्षिण एशियाई परिदृश्य आकार लेगा, तब शायद हमारे "नये पड़ोसी देश" मोदी जी के शपथग्रहण समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हों – विजेता भारत और पराजित परछाइयाँ साथ-साथ।आत्मनिर्भर भारत की उद्घोषणा'ऑपरेशन सिंदूर' केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं थी; यह भारत की रणनीतिक परिपक्वता, सैन्य तकनीकी आत्मनिर्भरता और आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता की स्पष्ट उद्घोषणा थी। इस ऑपरेशन ने भारत को क्षेत्रीय शक्ति से वैश्विक सुरक्षा व्यवस्था के एक निर्णायक खिलाड़ी में परिवर्तित किया है।21वीं सदी में यदि भारत को अपनी सीमाओं की रक्षा करनी है और वैश्विक दक्षिण का नेतृत्व करना है, तो ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसी कार्रवाईयों को केवल आपातकालीन उत्तर नहीं, बल्कि दीर्घकालिक रणनीतिक संरचना के रूप में देखना होगा।
(नोट: यह सम्पादकीय भारत में संचालित 'ऑपरेशन सिंदूर' से संबंधित सार्वजनिक रूप से उपलब्ध समाचार स्रोतों के विश्लेषण पर आधारित है। इसमें किसी गोपनीय या वर्गीकृत जानकारी का उपयोग नहीं किया गया है।)
डॉ. अमरीक सिंह ठाकुर
सहायक प्रोफेसर
हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय।
Tags :
अमरीक विचार
बहुत ही उतम लेख अमरीक जी
जवाब देंहटाएं