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शिया सुन्नी विवाद में इजराईल की बल्ले बल्ले।


अगर इजराईल के समीपवर्ती मुस्लिम देशों पर नजर दौड़ाएं तो ईराक और ईरान में शिया बहुसंख्यक हैं। ईरान में कुल आबादी का लगभग 90 से 95 प्रतिशत शिया हैं, तो ईराक में लगभग 65 प्रतिशत। 

जबकि अन्य पड़ौसी मुस्लिम देश सुन्नी बहुल हैं। सीरिया में 74 प्रतिशत, जॉर्डन और मिस्र में 90 प्रतिशत आबादी सुन्नी है। लेबनान में शिया और सुन्नी का अनुपात लगभग समान अर्थात 30 से 35 प्रतिशत है। 

कहने को तो शिया और सुन्नी दोनों ही मुसलमान हैं, किन्तु दोनों समुदायों की शत्रुता भी पुस्तैनी है। आईये इस शत्रुता के इतिहास पर एक नजर दौड़ाएं। 

इस्लाम के संस्थापक पैगम्बर मोहम्मद साहब के बाद उत्तराधिकार की लड़ाई हुई !

कुछ लोगों का मानना था कि उन्होंने अपने भतीजे / दामाद अली और नवासे हुसैन इब्न अली को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त कर दिया था !

जबकि कुछ मानते थे कि उन्होंने कोई उत्तराधिकारी घोषित नहीं किया था, अतः उनके अनुयाईयों में से कोई धर्मपरायण व्यक्ति उनका स्थान ले !

अंततः अबू बकर ने खलीफा की गद्दी संभाली !

अबू बकर और उसके बाद के दो खलीफाओं की हत्या के बाद मोहम्मद साहब के भतीजे अली खलीफा बने !

किन्तु संघर्ष जारी रहा, और नतीजा यह हुआ कि अली की भी एक मस्जिद में जहर बुझी तलवार से ह्त्या कर दी गई !

अब अली के बेटे हुसैन ने गद्दी संभालने की कोशिश की, किन्तु करबला के युद्ध में हुसैन मारे गए !

हुसैन के अनुयाई शिया कहलाते हैं और वे हुसैन को अपना पहला इमाम मानते हैं !

उस समय से ही शिया सुन्नी विवाद - खलीफा विरुद्ध इमाम, चला आ रहा है !

शिया बाद के खलीफाओं को मान्यता नहीं देते !

वे हर साल हुसैन को शहीद मानकर उनकी शहादत की याद में ताजिये निकालते हैं !

तो कुल मिलाकर मोहम्मद साहब के जमाने से जारी यह हिंसा का तांडव कब तक चलेगा ? कौन जाने ?

पिछले दिनों ईरान की नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के सदस्य और IRGC के वरिष्ठ जनरल मोहसेन रेज़ाई ने एक टेलीविजन इंटरव्यू में दावा किया कि:पाकिस्तान ने ईरान से वायदा किया है कि अगर इजराईल ने ईरान पर परमाणु हमला किया, तो पाकिस्तान बदले में इजराइल पर परमाणु हथियार इस्तेमाल करेगा। 

इस समाचार से मुझे हैरानी हुई। क्योंकि पाकिस्तान स्पष्टतः सुन्नी बहुल है। वहां की कुल आबादी का लगभग 85–90% सुन्नी समुदाय हैं। और सुन्नी बहुल पाकिस्तान शिया ईरान के पक्ष में अपनी परमाणु क्षमता का उपयोग करेगा, यह गले उतरने वाली बात नहीं थी। और हुआ भी वही। 

पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने कठोर शब्दों में ईरान के इन दावों का खंडन किया, और इस बात को रेखांकित किया कि ये पाकिस्तान की आधिकारिक नीति नहीं हैं। बयान में यह स्पष्ट किया गया कि पाकिस्तान के पास ईरान को किसी भी प्रकार के परमाणु हथियार उपलब्ध कराने या इजराइल पर परमाणु हमले करने का कोई इरादा नहीं है ।

तो अब आप समझ ही गए होंगे कि आखिर इजराईल चारों तरफ से मुस्लिम देशों से घिरा होने के बाद भी क्यूँ सब पर भारी पड़ जाता है। एक की पिटाई दूसरे को अच्छी लगती है। और इजराईल बड़े मजे से एक के बाद दूसरे को ठोके जा रहा है। 

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