थाने के सामने युवक से जूते सहित माफ़ी, समाज ने जताया विरोध, FIR दर्ज
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शिवपुरी जिले के बैराड़ कस्बे में हुई एक हालिया घटना ने समाज और प्रशासन दोनों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में एक युवक से थाने के सामने जूता सिर पर रखकर माफी मंगवाई जाती दिखाई दे रहा है।
बताया जा रहा है कि यह विवाद 25 दिन पुराना है, जिसमें एक व्यापारी पुत्र और एक जिलाबदर बदमाश के बेटे के बीच झगड़ा हुआ था। इस झगड़े को सुलझाने के नाम पर शनिवार को एक बैठक बुलाई गई, जिसमें कुछ स्थानीय नेता और समाजसेवी भी मौजूद थे। बैठक में यह तय किया गया कि युवक को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी होगी और जूता सिर पर रखकर अपनी गलती स्वीकार करनी होगी।
वीडियो वायरल होने के बाद राजनीतिक पारा चढ़ गया। कांग्रेस विधायक कैलाश कुशवाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस घटना को शर्मनाक बताया और आरोप लगाया कि पूर्व मंत्री सुरेश राठखेड़ा, मंडल महामंत्री पवन गुप्ता समेत कई बीजेपी नेता इस दौरान उपस्थित थे और उनकी जानकारी में ही यह सब हुआ। वहीं, पूर्व मंत्री राठखेड़ा और संबंधित पुलिस अधिकारी इस तरह की किसी घटना से इनकार कर रहे हैं।
अग्रवाल समाज ने किया विरोध, फिर दर्ज हुई एफआईआर
इस घटना के बाद अग्रवाल समाज सामने आया और उन्होंने शिवपुरी एसपी को ज्ञापन सौंपकर कड़ी कार्रवाई की मांग की। समाज ने स्पष्ट कहा कि यदि इस तरह की घटनाओं पर सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो भविष्य में व्यापारी वर्ग असुरक्षित महसूस करेगा।
ज्ञापन दिए जाने के बाद भी पीड़ित युवक ने इस मामले में बोलने से इनकार कर दिया। लेकिन उसी दिन एक तीसरे व्यक्ति — सोनेराम जाटव — ने थाने में पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में बताया गया कि युवक से जबरन जूता सिर पर रखवाकर सार्वजनिक रूप से माफ़ी मंगवाई गई, जिससे सामाजिक सौहार्द और लोक व्यवस्था पर विपरीत असर पड़ा। पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है।
पहले भी हो चुकी है विवाद से जुड़ी घटना
यह पहली बार नहीं है जब पूर्व मंत्री सुरेश राठखेड़ा का नाम किसी विवाद में सामने आया हो। कुछ महीने पहले शिवपुरी के माधव चौक में उनके भतीजे पर आरएसएस पदाधिकारी के प्रतिष्ठान में मारपीट का आरोप लगा था। तब भी मामला सार्वजनिक रूप से सामने आया था और राठखेड़ा को सफाई देनी पड़ी थी। अब फिर एक नई घटना में उनका नाम चर्चा में है।
जिम्मेदारी तय होनी ज़रूरी
यह पूरा मामला कुछ अहम सवाल खड़े करता है:
क्या अब निजी विवादों को ऐसे सार्वजनिक अपमान के ज़रिये सुलझाया जाएगा?
जब घटना थाने के सामने हुई, तो पुलिस ने तुरंत कार्यवाही क्यों नहीं की?
क्या सामाजिक प्रतिष्ठा और व्यक्तिगत सम्मान को यूं खुलेआम ठेस पहुंचाई जा सकती है?
अग्रवाल समाज ने प्रशासन से स्पष्ट और ठोस कार्रवाई की मांग की है ताकि भविष्य में किसी के साथ इस तरह की घटना न हो। अब देखना होगा कि प्रशासन कितनी गंभीरता से इस पूरे मामले को लेता है।
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शिवपुरी
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