आरक्षण में बड़ा धमाका: सुप्रीम कोर्ट में आय-आधारित प्राथमिकता की याचिका से राजनीति में भूचाल
भारतीय राजनीति का सबसे विस्फोटक मुद्दा — आरक्षण — एक बार फिर देश की सुर्खियों में है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक सनसनीखेज याचिका मौजूदा राजनीतिक समीकरणों को पूरी तरह पलट सकती है। उत्तर प्रदेश निवासी रमाशंकर प्रजापति और यमुना प्रसाद द्वारा दायर इस याचिका में मांग की गई है कि SC/ST और OBC आरक्षण में भी आय-आधारित प्राथमिकता लागू हो, ताकि लाभ केवल आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को ही मिले। यह याचिका सीधे-सीधे आरक्षण की जड़ पर चोट करती है और सामाजिक-राजनीतिक बहस को नए सिरे से भड़काने का दम रखती है।
बिहार विधानसभा चुनाव के ठीक पहले इस याचिका का दाखिल होना किसी राजनीतिक मास्टरस्ट्रोक से कम नहीं माना जा रहा। सुप्रीम कोर्ट ने इसे परीक्षण के लिए स्वीकार करने का संकेत दे दिया है और जल्द ही केंद्र सरकार व अन्य संबंधित पक्षों को नोटिस जारी हो सकता है। अगर ऐसा हुआ, तो चुनावी माहौल में यह मुद्दा जातिगत राजनीति की दिशा बदल सकता है।
इस याचिका के पीछे तर्क साफ है — समान जाति में आर्थिक रूप से सम्पन्न लोग आरक्षण के लाभ उठा रहे हैं, जबकि वास्तव में जरूरतमंद गरीब तबके पीछे छूट रहे हैं। अगर सुप्रीम कोर्ट आय-आधारित प्राथमिकता पर सहमति जताता है, तो यह न केवल देश की आरक्षण नीति का चेहरा बदल देगा बल्कि बिहार, उत्तर प्रदेश और पूरे देश के चुनावी समीकरणों को हिला देगा।
यह मामला केवल एक कानूनी कार्यवाही नहीं, बल्कि भारतीय राजनीति में ऐसा तूफ़ान है जो 360 डिग्री का मोड़ ला सकता है। अगले कुछ हफ्तों में सुप्रीम कोर्ट की हर सुनवाई और आदेश देश की राजनीति की धड़कन तेज करने वाले साबित हो सकते हैं।
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