कौन चला रहा है शिवपुरी का डंडा बैंक?
ग्वालियर से उठा मामला अब पूरे अंचल में गूंज रहा है। अदालत की फाइलों में दर्जनों चेक बाउंस केसों ने साफ कर दिया है कि यह कोई सामान्य उधारी का किस्सा नहीं, बल्कि पैसों का ऐसा गुप्त कारोबार है, जिसमें कानून को ही वसूली का औजार बना दिया गया है। अदालत में कभी कारोबार का असली चेहरा सामने नहीं आया और न ही डंडा बैंक चलाने की कोई वैधानिक अनुमति दिखाई गई। इसके बावजूद, केसों की लंबी कतार और बेहद कम सजा ने संकेत दिया है कि कहीं यह कोई संगठित जाल तो नहीं, जो समाज के बीच खुलेआम फैल रहा है।
अब सवाल शिवपुरी पर खड़ा हो रहा है। शहर की फिज़ाओं में कानाफूसी तेज है—क्या यहां भी ऐसे अदृश्य डंडा बैंक चल रहे हैं? लोग फुसफुसाकर उन रहस्यमयी चेहरों की ओर इशारा करते हैं, जो दिन में समाजसेवी और सफेदपोश बनकर घूमते हैं, राजनीति की छत्रछाया में खुद को जनसेवक बताते हैं और रातों-रात फकीर से अमीर बने वे विचित्र भेषधारी युवा, जिनके असली धंधे का कोई सुराग किसी के पास नहीं।
चाय की दुकानों पर चर्चाएं हैं कि यह सब महज संयोग नहीं हो सकता। कहीं यह सब उसी अदृश्य नेटवर्क का हिस्सा तो नहीं, जो मजबूरी को हथियार बना रहा है? ग्वालियर की परछाई अब शिवपुरी तक फैल चुकी है और लोग पूछने लगे हैं—क्या हमारे शहर में भी कोई ऐसा डंडा बैंक सक्रिय है, जिसकी पकड़ आम परिवारों तक जा चुकी है?
हमारी टीम इस पूरे मामले की तहकीकात में जुटी है। अगली कड़ी में हम यह उजागर करेंगे कि कौन-कौन से संकेत शिवपुरी की गलियों से मिल रहे हैं और कौन से सफेदपोश चेहरों पर शक की सुई ठहर रही है। यह खुलासा चौंकाने वाला हो सकता है।
अगली रिपोर्ट में हम आपके सामने पेश करेंगे—
उन सफेदपोश चेहरों के संकेत, जिन पर शक की सुई घूम रही है
वे रहस्यमयी घटनाएं, जिनसे डंडा बैंक के जाल की परतें खुल सकती हैं
और वह गुप्त नेटवर्क, जिसके धागे राजनीति, समाजसेवा और अचानक अमीर बने युवाओं तक जाते हैं
तैयार रहिए… शिवपुरी का अगला बड़ा खुलासा जल्द ही आपके सामने होगा।जुड़े रहिए…
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