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शिवपुरी में जीटी ऐप घोटाले की आहट: फिर दोहराया जा रहा इतिहास

 

शिवपुरी में इतिहास मानो फिर खुद को दोहराने को तैयार है। कुछ साल पहले एक तथाकथित सेनेटरी पैड कंपनी ने “महिलाओं के स्वास्थ्य” के नाम पर भोले-भाले लोगों को ठगने की कोशिश की थी। तब कुछ सजग नागरिकों और पत्रकारों ने आगाह किया था कि यह समाजसेवा नहीं, बल्कि ठगी का नया रूप है। भले ही उस समय किसी मंच पर माला नहीं पहनी गई थी, पर कुछ लोगों की मौन सहमति और प्रचार ने उस प्रकरण को बढ़ावा ज़रूर दिया था। जब मामला संदिग्ध निकला, तब सभी चेहरे अचानक गायब हो गए।

अब वही कहानी एक बार फिर लौटती दिख रही है, बस रूप बदल गया है अब मंच पर सेनेटरी पैड नहीं, बल्कि मोबाइल ऐप का चमत्कार है नाम है जीटी ऐप कंपनी। यह तथाकथित कंपनी लोगों को “घर बैठे कमाई” का लालच दे रही है। बताया जा रहा है कि चार दिन तक प्रतिदिन 60 रुपए मिलते हैं, और उसके बाद 1800 रुपए या उससे अधिक का “पैकेज” लेना पड़ता है, जिसके बदले महीनेभर तक पैसा लौटाने का वादा किया जाता है। न कोई उत्पाद, न कोई सेवा बस विश्वास के नाम पर कारोबार।

सबसे चिंताजनक बात यह है कि इस कंपनी के कार्यालय शिवपुरी, कोलारस, लुकवासा जैसे इलाकों में खुले तौर पर उद्घाटन किए गए हैं। कुछ स्थानीय चेहरे मंच पर मौजूद भी रहे, और लोगों को यह संदेश दिया गया कि यह कोई वैध व भरोसेमंद संस्था है।

पर सवाल यह है क्या इन कार्यालयों के लिए किसी विभाग से अनुमति ली गई थी? क्या प्रशासन को इसकी जानकारी थी? यदि यह कंपनी वास्तव में वैध है, तो उसे अपने दस्तावेज़, पंजीकरण प्रमाण और लाइसेंस सार्वजनिक रूप से जारी करने में कोई हिचक नहीं होनी चाहिए। पर अगर नहीं है तो यह प्रशासन की ज़िम्मेदारी है कि वह तत्काल जांच करे, ताकि लोगों की मेहनत की कमाई किसी फर्जीवाड़े में न फँसे।

इतिहास गवाह है कि जब प्रशासन ठगी करने वालों पर देर से कार्रवाई करता है, तब तक ठग अपने दफ्तर बंद कर भाग चुके होते हैं। ऐसे में जरूरी है कि जिला प्रशासन, साइबर सेल और आर्थिक अपराध शाखा तत्काल संज्ञान लें और यह जांच करें कि आखिर जीटी नामक कंपनी किस कानूनी आधार पर काम कर रही है, लोगों से पैसा कैसे और किस अनुमति के तहत ले रही है। यह सिर्फ आर्थिक ठगी का खतरा नहीं है, बल्कि जनता की निजी जानकारी और बैंक डाटा की सुरक्षा का भी गंभीर प्रश्न है। ऐसे ऐप अक्सर उपयोगकर्ताओं के मोबाइल और बैंक खातों तक पहुंच बनाकर बड़े साइबर अपराधों की नींव रख देते हैं।

यह लेख किसी को दोषी ठहराने के लिए नहीं, बल्कि जनता और प्रशासन दोनों को सचेत करने के लिए है। ताकि फिर से वही कहानी न दोहराई जाए “लोग ठगे गए, ठग गायब हो गए, और प्रशासन ने कहा कोई शिकायत नहीं मिली।”

अब समय है कि शिवपुरी सजग बने। क्योंकि अगर समाज अब भी चुप रहा, तो अगली बार कोई और नाम, कोई और ऐप, और कोई नई ठगी फिर से शुरू होगी बस शिकार वही होंगे "हम सब"।

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1 टिप्पणियाँ

  1. बेहतरीन मय विबरण आमजन हितार्थ जानकारी प्रस्तुति पर धन्यवाद आभार 🙏👍🙏

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