विराट कोहली के नाम पर भारत विरोधी खेल! – दिवाकर शर्मा
भारत आज उस दौर से गुजर रहा है जहाँ केवल राजनीति ही नहीं, बल्कि खेल, संस्कृति, समाज और यहां तक कि किसी व्यक्ति का निजी जीवन भी षड्यंत्रों और एजेंडों का शिकार बन जाता है। क्रिकेट के सबसे चमकते सितारे, विश्वभर में भारतीय तिरंगे को गौरव से फहराने वाले विराट कोहली, इन दिनों ठीक उसी तरह की अफवाहों और भ्रामक खबरों के जाल में फंसे हुए हैं। सोशल मीडिया से लेकर कुछ मीडिया चैनलों और विशेष मानसिकता से ग्रस्त लोगों तक, हर जगह यह चर्चा चल रही है कि विराट ने भारत छोड़ दिया है, वह लंदन शिफ्ट हो गए हैं, और यह सब उन्होंने भारत की परिस्थितियों से परेशान होकर किया है।
लेकिन सच्चाई यह है कि विराट कोहली ने कभी सार्वजनिक रूप से ऐसा कोई बयान नहीं दिया कि वह भारत छोड़ रहे हैं या भारत को नकार रहे हैं। वह आज भी भारतीय क्रिकेट टीम के अभिन्न हिस्सा हैं, उन्होंने भारत के लिए अनगिनत रिकॉर्ड बनाए हैं और देश को गौरव दिलाया है। फिर भी कुछ लोग इस मुद्दे को हवा देकर यह साबित करना चाहते हैं कि भारत रहने योग्य नहीं है, यहाँ की सरकारें असफल हैं और मोदी सरकार की नीतियाँ लोगों को पलायन करने पर मजबूर कर रही हैं।
यही असल समस्या है—भारत विरोधी मानसिकता। यह मानसिकता उन लोगों की है जिन्हें भारत की प्रगति, आत्मनिर्भरता और विश्व मंच पर बढ़ते प्रभाव से परेशानी है। यह वही वर्ग है जो हर अच्छे काम में भी खोट निकालने में पीछे नहीं रहता। अगर भारत का कोई खिलाड़ी विश्वस्तर पर विजय प्राप्त करता है तो वे यह कहने से नहीं चूकते कि "यह तो विदेशी कोचिंग का कमाल है"। अगर भारत की सेना दुश्मनों को जवाब देती है तो यह वर्ग कहता है कि "यह राजनीति है"। और अब जब विराट कोहली की पारिवारिक प्राथमिकताओं और गोपनीयता की चर्चा हो रही है तो इस वर्ग ने इसे भी "भारत छोड़ने" जैसा बड़ा मुद्दा बना कर पेश कर दिया।
वास्तव में विराट और उनकी पत्नी अनुष्का शर्मा, अपने बच्चों के लिए सामान्य जीवन और गोपनीयता चाहते हैं। एक अभिभावक के तौर पर उनकी यह सोच स्वाभाविक है। अगर वे लंदन या किसी अन्य देश में समय बिताते हैं, तो इसका अर्थ यह नहीं कि उन्होंने भारत को ठुकरा दिया। परंतु अफसोस की बात यह है कि इस व्यक्तिगत फैसले को तोड़-मरोड़ कर ऐसे प्रस्तुत किया जा रहा है मानो भारत में रहना असंभव हो गया है।
यहाँ सबसे गंभीर बात यह है कि इस तरह की अफवाहें फैलाने में कुछ मीडिया से जुड़े लोग भी शामिल हैं। पत्रकारिता, जिसका उद्देश्य सत्य और तथ्यों को सामने लाना होता है, आज कई जगह "अफवाहों की फैक्ट्री" बन गई है। कुछ चैनल और पोर्टल जानबूझकर इस मसले को तूल दे रहे हैं ताकि दर्शकों में सनसनी फैले और टीआरपी बढ़े। मगर असल में यह भारत की छवि को धूमिल करने की सोची-समझी चाल है।
मोदी सरकार के नेतृत्व में भारत आज आत्मनिर्भरता, तकनीकी क्रांति, इंफ्रास्ट्रक्चर विकास और वैश्विक कूटनीति में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। दुनिया भर में भारत की नीतियों की चर्चा हो रही है, भारत की ताकत बढ़ रही है और यही बात भारत विरोधियों को खटक रही है। जब वे आर्थिक, राजनीतिक या सैन्य मुद्दों पर सरकार की आलोचना करके जनता को भ्रमित नहीं कर पाते, तो वे विराट कोहली जैसे लोकप्रिय चेहरों का सहारा लेते हैं। क्योंकि वे जानते हैं कि क्रिकेट भारत के लोगों की भावनाओं से जुड़ा हुआ है, और यदि विराट का नाम लेकर कोई झूठ फैलाया जाएगा तो लोग उसे गंभीरता से लेंगे।
भारत विरोधी ताकतें यह दिखाना चाहती हैं कि भारत में रहना मुश्किल है, यहाँ बच्चों की सुरक्षा नहीं है, यहाँ की सरकार लोगों को दबाती है, और इसलिए लोग देश छोड़कर भाग रहे हैं। जबकि सच्चाई यह है कि आज भारत लाखों प्रवासी भारतीयों के लिए भी सबसे सुरक्षित और आकर्षक स्थान बन चुका है। विश्वभर में भारतीय समुदाय सम्मानित हो रहा है और भारत की नीतियों की सराहना की जा रही है। ऐसे में "भारत छोड़ने" की अफवाह फैलाकर यह जताना कि देश असफल हो रहा है, केवल झूठा नैरेटिव गढ़ने का प्रयास है।
विराट कोहली जैसे खिलाड़ी ने अपने बल्ले से भारत का मान बढ़ाया है। उनका करियर भारत की मिट्टी से जुड़ा है, उनका नाम भारत के साथ ही दुनिया में गूंजता है। उन्हें और उनके परिवार को जहाँ भी सुविधा और गोपनीयता मिले, यह उनका व्यक्तिगत अधिकार है। लेकिन इसे भारत और मोदी सरकार की आलोचना का हथियार बना देना न केवल राष्ट्र के साथ अन्याय है, बल्कि विराट जैसे महान खिलाड़ी के साथ भी अन्याय है।
यह भी समझना होगा कि मोदी सरकार की नीतियों से भारत का हर वर्ग लाभान्वित हुआ है। चाहे गरीबों के लिए मुफ्त राशन की योजना हो, किसानों के लिए सीधी सहायता हो, या मध्यवर्ग के लिए कर लाभ—हर दिशा में सुधार और विकास हुआ है। ऐसे में "विराट ने भारत छोड़ा क्योंकि यहाँ रहना असंभव है" जैसी बातें केवल दुष्प्रचार हैं। यह वही मानसिकता है जो नोटबंदी के समय कह रही थी कि भारत की अर्थव्यवस्था खत्म हो जाएगी, जो जीएसटी के समय चिल्ला रही थी कि कारोबार चौपट हो जाएगा, जो कोविड टीकाकरण पर भी सवाल उठा रही थी। लेकिन हर बार भारत ने प्रगति की और आलोचकों को जवाब दिया।
आज आवश्यकता है कि देश का हर नागरिक इन षड्यंत्रों को समझे। हमें यह देखना होगा कि किस तरह भारत विरोधी मानसिकता वाले लोग, विदेशी फंडिंग से प्रेरित कुछ मीडिया घराने और सोशल मीडिया की फेक फैक्ट्री, देश की छवि खराब करने में जुटी हैं। यह सिर्फ विराट कोहली का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह भारत की अस्मिता और गौरव से जुड़ा मुद्दा है। जब देश का एक खिलाड़ी या कलाकार अपने निजी जीवन के कारण कोई निर्णय लेता है तो उसे राष्ट्रविरोधी चश्मे से देखना गलत है।
विराट कोहली और अनुष्का शर्मा भारत के बेटे-बेटी हैं। उन्होंने भारत का नाम रोशन किया है और आगे भी करेंगे। अगर वे कभी भी अपने बच्चों के लिए गोपनीयता चाहते हैं तो हमें उनके फैसले का सम्मान करना चाहिए। लेकिन यह कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता कि इस बहाने भारत को बदनाम किया जाए, मोदी सरकार की नीतियों को असफल बताया जाए और यह माहौल बनाया जाए कि भारत रहने योग्य नहीं है।
हम सबको यह याद रखना चाहिए कि राष्ट्र किसी व्यक्ति के निजी फैसले से कमजोर नहीं होता। भारत की शक्ति उसकी जनता में, उसकी सेना में, उसकी संस्कृति में और उसके नेतृत्व में है। विराट कोहली ने मैदान पर तिरंगा लहराया है, और वह तिरंगा आज भी उतना ही ऊँचा है, चाहे विराट लंदन में रहें या दिल्ली में।
अतः यह समय है जब हम सब मिलकर इस षड्यंत्र का पर्दाफाश करें। हमें यह बताना होगा कि भारत आज विश्वगुरु बनने की दिशा में अग्रसर है, और कोई भी झूठा नैरेटिव, कोई भी अफवाह, कोई भी भारत विरोधी मानसिकता इस यात्रा को रोक नहीं सकती। विराट कोहली भारत के गर्व हैं, और भारत स्वयं विराट जैसे सपूतों का गर्व है।

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