मोनू शर्मा – कार्रवाई के पीछे छिपी पूरी कहानी, आरोपों की परतों में दबा सच
शिवपुरी में लोकायुक्त की कार्रवाई ने अचानक एक छोटे से सरकारी कर्मचारी का नाम सुर्खियों में ला दिया – मोनू शर्मा, जो एडीएम ऑफिस में स्टेनो है। आरोप यह है कि उसने एक किसान से जमीन के इंद्राज दुरुस्ती के नाम पर 20 हजार रुपए की रिश्वत मांगी, जिसमें 15 हजार पहले ही ले चुका था और आख़िरी 5 हजार लेते हुए पकड़ा गया।
लेकिन सवाल यही है कि क्या कहानी इतनी सीधी है? सरकारी दफ्तरों में जो दिखता है, वह अक्सर पूरा सच नहीं होता। मोनू रीडर नहीं, सिर्फ स्टेनो है यह बात खुद एडीएम दिनेशचंद्र शुक्ला ने भी कही। रीडर वह होता है जो फाइलों पर राय देता है और फैसला किस दिशा में जाएगा, उसका संकेत तय करता है। जबकि स्टेनो का काम सिर्फ लिखना, टाइप करना और आदेशों को रूप देना होता है।
ऐसे में दफ्तर की फाइलों के खेल में सबसे कमजोर कड़ी अक्सर वही बन जाता है जो सबसे नीचे होता है और इस बार वह मोनू है। किसान की पुस्तैनी 68 बीघा जमीन किसी अंजान आदमी के नाम दर्ज होना अपने आप में बड़ी गलती है, जिसमें पटवारी और अन्य अधिकारियों की भूमिका अधिक होती है। इंद्राज दुरुस्ती की प्रक्रिया कई लोगों के हाथों से गुजरती है, लेकिन जब कोई कार्रवाई होती है तो सबसे पहले वार उसी पर पड़ता है जिसे पकड़ना सबसे आसान होता है।
कहते हैं कि किसान ने पैसा दिया, दो किस्तों में लेकिन यह भी उतना ही सच हो सकता है कि मोनू उस तंत्र का सिर्फ एक छोटा हिस्सा था, जिसे आगे कर दिया गया ताकि बड़े चेहरे बच जाएँ। दफ्तरों में ऐसा माहौल नया नहीं है। आदेश देने वाले कम दिखाई देते हैं, और आदेश लिखने वाले ज्यादा फंस जाते हैं।
फिर भी, रिश्वत तो रिश्वत है लोकायुक्त का कदम जरूरी भी था और कानून अपना काम कर रहा है। पर इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि असली जिम्मेदारी किसकी होती है उसकी जो फाइल पर निर्णय लेता है, या उसकी जो केवल फाइल को आगे बढ़ाता है?
मोनू की खामोशी बहुत कुछ कहती है। उसने किया या नहीं, यह जांच बताएगी। लेकिन इतना जरूर है कि यह मामला केवल एक कर्मचारी का नहीं, पूरी व्यवस्था का आईना है। जमीन गलत दर्ज कैसे हुई, यह गलती किसकी थी, और आखिर असली दोषी कौन है ये वे सवाल हैं जो अभी भी हवा में तैर रहे हैं।
शिवपुरी का यह मामला सिर्फ रिश्वत का नहीं, बल्कि उस व्यवस्था का चेहरा उजागर करता है जो ऊपर से मजबूत दिखती है, पर भीतर से कमजोर ईंटों के सहारे खड़ी है। इस बार टूटन की आवाज़ मोनू शर्मा के नाम से आई है, पर दीवार में दरारें कहीं और भी होंगी। यह बात सभी जानते हैं, पर कोई खुलकर कहता नहीं।

छोटा मोटा बिचौलिया गिरफ्त में आना आमबात है!! शायद ही मुख्य अपराधी तक पहुंच सके! वैसे जनसामान्य सब समझता है!!
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