भारत हिंदू राष्ट्र है ही। रोमिला थापर इसे नहीं रोक सकती ।



रोमिला थापर का बयान “भारत हिंदू राष्ट्र बनने के कगार पर” और उस पर श्री उपानंद ब्रह्मचारी की प्रतिक्रिया – 

थापर के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि भारत में एक हिंदू राष्ट्र क्यों नहीं होना चाहिए, जबकि दुनिया में 53 इस्लामिक राज्य और 112 ईसाई राज्य हैं? 

हरिद्वार से उपानंद ब्रह्मचारी/ दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) के छद्म धर्मनिरपेक्ष परिसर से अपने पहले लाइव ऑनलाइन व्याख्यान में; प्रसिद्ध वामपंथी शिक्षाविद और भारतीय प्राचीन इतिहास की प्रोफेसर, रोमिला थापर ने हाल ही में (13 अगस्त, 2020 को) कहा कि यकीनन देश एक हिंदू राष्ट्र बनने के किनारे पर है। प्रगटतः इस आयोजन में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के कम्युनिस्ट और शहरी नक्सलियों तथा कश्मीरी अलगाववादी विंग का भी सहयोग था। 

अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर की गर्मी ने पूरे भारत के प्रो-इस्लामवादी और चयनात्मक-धर्मनिरपेक्ष बुद्धिजीवियों तथा शिक्षाविदों में एक असहनीय जलन पैदा कर दी है, प्रो थापर भी राम मंदिर की चिलचिलाती गर्मी से गंभीर रूप से प्रभावित हैं, क्योंकि उनके अनुसार यह भारत में हिंदू राष्ट्र का प्रतीक है। 

प्रो. थापर ने दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों की पहल पर, कारवाँ द्वारा आयोजित एक फेसबुक लाइव सत्र में दर्शकों को संबोधित किया, जो औपनिवेशिक लेखकों से लेकर 20 वीं शताब्दी के शुरुआत में और उसके बाद के राष्ट्रीय विचारकों तक के, विगत 200 वर्षों के इतिहास लेखन पर केंद्रित था । 

ध्यान देने योग्य बात है कि प्रो थापर जिस गुप्त इस्लामी और हिंदू-विरोधी शक्तियों की प्रवक्ता हैं, उसने हमेशा भारत के बहुसंख्यक समाज के राष्ट्रवाद की निंदा की है, यहाँ तक कि राणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी, तिलक, स्वामी विवेकानंद, श्री अरबिंद और सावरकर जैसे मध्ययुगीन काल से वर्तमान काल तक के भारतीय राष्ट्रवाद के ज्योतिपुन्जों को भी बदनाम करने की कोशिश की है। रोमिला थापर, इरफान हबीब, बिपन चंद्र, डीएन झा जैसे हिंदुत्व विरोधी, गांधी, पटेल, नेताजी, अंबेडकर आदि द्वारा प्रस्तावित विचारों के आदर्शों को स्वीकार करने के लिए भी तैयार नहीं हैं, क्योंकि इन राष्ट्रीय नायकों ने मार्क्सवाद और द्वंद्वात्मक भौतिकवाद के सिद्धांत को खारिज कर दिया था । और थापर जैसे लोगों का यह विचार प्रवाह वेदों में वर्णित सार्वभौमिक राष्ट्रवाद या रामायण में परिलक्षित भगवान राम की देशभक्ति के मूल से भी सहमत नहीं है। बल्कि, ये लोग तो 'वेदों में बीफ खाने', 'प्राचीन भारत में जातिवाद', 'भारत में आर्यन आक्रमण', 'आर्य-द्रविड़ संघर्ष' और भारत में 'आयातित राष्ट्रवाद' को साबित करने में लगे हुए थे, हालांकि आधुनिक अनुसंधान और निष्पक्ष खोज में ये सभी झूठे साबित हुए हैं । 

राष्ट्रवाद को लेकर प्रो. थापर ने कहा: “राष्ट्रवाद इस बात का प्रतिबिंब है कि समाज के लोग अपने सामूहिक स्व के बारे में कैसा सोचते हैं। सामूहिक का मतलब है कि राष्ट्र का गठन करने वाले सभी को समान नागरिक के रूप में शामिल किया जाना चाहिए। लेकिन जब राष्ट्रवाद को किसी एक पहचान से परिभाषित किया जाता है, जो या तो भाषा या धर्म या यहां तक ​​कि जातीयता हो सकती है, तो राष्ट्रवाद प्रमुखतावाद में फंस जाता है। और प्रमुखतावाद राष्ट्रवाद नहीं है ”। लेकिन, थापर ने कभी 53 इस्लामिक देशों या इस्लामिक राज्य धर्म या 112 ईसाई देशों के ईसाई राज्य धर्म के अस्तित्व पर सवाल नहीं उठाया, जिनमें से कई में उन्होंने अतिथि व्याख्यान दिए और अकादमिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए दौरे किये और निश्चित रूप से उन देशों से सम्मान और पुरस्कार भी प्राप्त किए। लेकिन भारत में 1 बिलियन हिन्दुओं के लिए हिन्दू राष्ट्र की संभावना भर प्रो. थापर को असहनीय हो जाती है, उनका पारा चढ़ जाता है, वह चिड़चिड़ा उठती है! 

वह कहती है कि “स्वतंत्रता के संघर्ष में ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीयों का एक सर्व-समावेशी राष्ट्रवाद था। हालाँकि, अंग्रेजों द्वारा प्रेरित धर्म आधारित दो राष्ट्रों के आग्रह को कुछ भारतीयों के बीच स्वीकृति मिली। लेकिन वास्तव में, प्रो रोमिला थापर मुस्लिम मानस और दूसरों पर इस्लामी प्रभुत्व के तरीके को समझने में विफल रहीं, जिसके कारण ब्रिटिश एक आसान गेम प्लान के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम में भारतीय लोगों का विभाजन कर सके। थापर का यह कथन कि 'धर्म आधारित राष्ट्रवाद केवल कुछ भारतीयों द्वारा स्वीकार किया गया' विशुद्ध रूप से एक मनगढ़ंत कहानी है, क्योंकि अधिकांश मुसलमानों ने पाकिस्तान के लिए मतदान किया और अपना पसंदीदा पाकिस्तान पाने के लिए हिंदुओं के खिलाफ 'डायरेक्ट एक्शन' में शामिल होने की कोशिश की। 

इसलिए, थापर की राय कि '' दो राष्ट्रों के विचार की परिणति विभाजन के रूप में हुई और पाकिस्तान का निर्माण एक इस्लामिक राष्ट्र के रूप में हुआ। और यह तर्क दिया जा सकता है कि वर्तमान में भारत उसी प्रकार हिंदू राष्ट्र बनने के कगार पर है "... कुछ भी नहीं है, महज एक अनुमान है। व्यावहारिक रूप से, हिंदू प्रकृति से ही सह-अस्तित्व और सांस्कृतिक सामंजस्य के साथ एक अविभाजित भारत (अखंड भारत) चाहते थे, लेकिन मुसलमानों ने अपने धार्मिक वर्चस्व और राजनीतिक अधिकार के लिए पाकिस्तान (पवित्र भूमि) का पक्ष लिया। 

इसी प्रकार रोमिला थापर और उन जैसे अन्य प्रो-कम्युनिस्ट, प्रो-कश्मीरी मुक्ति, शहरी-नक्सली और चयनात्मक धर्मनिरपेक्ष इतिहासकारों ने भारत में मुस्लिम तुष्टिकरण की खातिर इस्लामी बर्बरता की प्रशंसा की | इतना ही नहीं तो हिंदू विचारों और संस्कृति, साथ ही बहुसंख्यक संघर्ष और आकांक्षाओं को तिरष्कृत करते हुए भारतीय इतिहास के साथ बेईमानी की। इसलिए, भारतीय इतिहास को सभी तथाकथित धर्मनिरपेक्ष और साम्यवादी दोषों से मुक्त करने के लिए निष्पक्ष तरीके से फिर से लिखने का आह्वान समय की मांग है | 

जो लोग अयोध्या में राम मंदिर को भारत में हिंदू राष्ट्र की दिशा में एक कदम और प्रतीक मानते हैं, उनका विश्लेषण और प्रत्याशा बहुत सही हैं। प्रो. थापर भी सही है कि ’भारत हिंदू राष्ट्र बनने के कगार पर है’। लेकिन उन्हें असली दर्द इस बात पर है कि अगर भारत एक हिंदू राष्ट्र बन गया तो भविष्य में भारत में कई पाकिस्तान नहीं बन पायेंगे । 

अगर भारत के सह-अस्तित्व और सर्व समावेशी, सच्चे धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण को बचाना है, जो सभी की आस्थाओं और स्वतंत्रता का सम्मान करता है, तो हिंदू राष्ट्र समय का आह्वान है। इस्लाम गैर मुसलमानों के विश्वास और स्वतंत्रता का विरोध करता है। विश्व का इतिहास और इस्लामिक देशों में होने वाली घटनाएं इसे स्पष्ट रूप से साबित करती हैं। हम छद्म धर्मनिरपेक्षता के चलते भारत को कई पाकिस्तान में विभाजित करने की अनुमति नहीं दे सकते। 

भारत को दार-उल-इस्लाम (इस्लाम की भूमि) बनाने के लिए जारी जिहाद की कवायद को रोकने के लिए तत्काल आधार पर भारत एक हिंदू राष्ट्र होना चाहिए। भारत को हमेशा और हमेशा के लिए बचाने के लिए हिंदू राष्ट्र की जय हो। 

भारत अपनी दिव्यता और विविधता को समेटे हुए हिंदू राष्ट्र है ही । अतः प्रो रोमिला थापर जैसे लोग, वैसे भी इसे रोक नहीं सकते । 

साभार आधार - 

Link: https://wp.me/pCXJT-bc9 

एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ

  1. रोमीला थापर जेसी वावपंथी संस्कृति और राष्ट्र विरोधी विचारों को लेखक के माध्यम से प्रचारित किया हैं। ऐसी बेहया रंडी को कैसी मौत मिलनी चाहिए इसका फैसला हिन्दू समाज करें। वंदेमातरम्🚩

    जवाब देंहटाएं