ललित मोदी के वकील ने यात्रा दस्तावेज के ताजा बबाल को जोड़ा सुनंदा पुष्कर प्रकरण से |

पूर्व आईपीएल बॉस ललित मोदी ने अपने वकील के माध्यम से सोमवार को आक्रामक बचाव किया । यात्रा दस्तावेज विवाद पर भड़की आग पर अपनी रोटी सेकने के लिए ललित मोदी ने इस मौके का उपयोग अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए किया और मुंबई में अपने एक वकील महमूद एम अब्दी के माध्यम से प्रेस तक अपनी बात पहुंचाई ।

मुंबई के एक पांच सितारा होटल में वकील अब्दी ने मौजूदा विवाद को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के स्थान पर पूर्ववर्ती कांग्रेसनीत यूपीए सरकार के मंत्रियों की तरफ मोड़ने का प्रयत्न किया | यह प्रेस कांफ्रेंस इसलिए अधिक महत्वपूर्ण थी क्योंकि पूर्व में अपने एक ट्वीट में ललित मोदी ने दावा किया था कि उक्त प्रेस कांफ्रेंस के बाद कई और स्तीफे हो जायेंगे | यह दावा तो खैर खोखला ही साबित हुआ | पत्रकार जगत मान रहा था कि संभवतः भाजपा के किसी आस्तीन के सांप का नाम ललित मोदी के माध्यम से सामने आ सकता है, किन्तु वह दावा तो टांय टांय फिस्स हो गया |

हाँ इतना अवश्य हुआ कि मीडिया को संबोधित करते हुए अब्दी ने इस प्रकरण को सुनंदा पुष्कर प्रकरण से जोड़ दिया | हालांकि नया इसमें भी कुछ नहीं था, क्योंकि यह सर्व विदित तथ्य है कि मोदी और शशि थरूर के बीच खुन्नस की कहानी पुरानी और जगजाहिर है | अब्दी ने कहा कि सुषमा स्वराज से इस्तीफे मांग रहे कांग्रेस के नेताओं को “ए राजा से जमाई राजा” तक खुद के आचरण का आत्मविश्लेषण करना चाहिए । उन्होंने कहा कि मैं कोई भाजपा का व्यक्ति नहीं हूँ लेकिन आत्मविश्वास से कह सकता हूँ कि पिछला एक वर्ष घोटाला मुक्त रहा है । राजनैतिक बियाबान जंगल में एक बहुत अच्छा काम कर रही सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की जा रही हैं। 

अब्दी ने कहा कि ललित मोदी को सुरक्षा कारणों से ब्रिटेन में शरण लेने के लिए मजबूर होना पडा था, क्योंकि 2010 में विवाद के बाद उनकी सुरक्षा वापस ले ली गई थी । जबकि माफिया सरगना दाऊद इब्राहिम के गिरोह के सदस्यों द्वारा उनकी तथा उनकी पत्नी की जान को खतरा था | 

वकील अब्दी ने इन आरोपों का खंडन किया कि ललित मोदी एक भगोड़ा है तथा उन्होंने मीडिया द्वारा उपयोग किये जा रहे भगोड़ा शब्द पर आपत्ति भी की । उन्होंने कहा कि देश की किसी अदालत ने ललित मोदी को भगोड़ा घोषित नहीं किया है | और न ही इंटरपोल सचिवालय ने कोई नीले कॉर्नर नोटिस जारी किया है । इसलिए यह कहना कि मोदी दो साल से भागता फिर रहा है पूर्णतः बेबुनियाद है । उनके खिलाफ फेमा से जुडा जो मामला है वह सिविल प्रकृति का है जिसमें अधिकतम केवल जुर्माना हो सकता है और वह भी तब, जब दोष सिद्ध हो जाए । इसलिए अदालत का निर्णय आने के पहले ही ललित मोदी को अपराधी और भगोड़ा बताया जाना पूर्णतः बेबुनियाद है |

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