क्या शवपुरी बन जायेगी शिवपुरी ?



प्रशासनिक दुर्लक्ष्य, विकास योजनाओं की अकाल मृत्यु और नेतृत्व शून्यता | किसी जमाने में सिंधिया राजवंश की ग्रीष्मकालीन राजधानी रही शिवपुरी आज इन सबका समन्वित दंश झेल रही है | 1990 के दशक में भाजपा की आतंरिक खींचतान के पश्चात शिवपुरी पधारीं श्रीमंत यशोधरा राजे जी सिंधिया ने जनता में आशा का नवदीप प्रज्वलित किया था | उनके दिखाए स्वप्नों में शिवपुरी वासी आजतक मोहनिद्रा के हिंडोले पर झूलते रहे | शिवपुरी में पेरिस ढूँढते रहे |
पर आखिर कब तक ? जनता को अब तक मिला क्या है ? विगत 15 वर्षों से सिंध परियोजना व सीवर प्रोजेक्ट के नाम पर उखड़ी पडी सड़कें | अभी कल की ही तो बात है | एक नवजात वालिका को गोद में लिए उसकी दादी एक ऑटो में बैठकर अस्पताल से घर को चली | साथ में उसकी बहू भी थी, जिसने बतीन दिन पहले ही उस बच्ची को जन्म दिया था | तभी एक गड्ढे में पहिया आ जाने के कारण ऑटो पलट गया | दादी की बाहों के झूले में से नवजात वालिका छिटक कर दूर जा गिरी और परमपिता की गोद में पहुँच गई | ऑटो में सवार सभी लोग घायल हुए | फिर भी घायल दादी उस वालिका के शव को छाती से चिपकाए पैदल अस्पताल की तरफ दौड़ी | डाक्टरों की मिन्नत करती दिखी, मेरी बच्ची को बचा लो | देखो शायद साँस चल रही हो | जिसने भी वह दृश्य देखा, उसकी आखें नम हो गईं |
भाजपा की गुटबाजी के चलते हालत यह बनी है कि कार्यक्षम अधिकारियों द्वारा स्वार्थसिद्धि न हो पाने पर, एक गुट के छुटभैये अपनी आका से गुहार लगाकर उसे दूसरे गुट के नेता से सम्बंधित बता चलता कर देते हैं | और फिर नाकारा अधिकारियों की जमात शिवपुरी चरागाह को चरने आ विराजती है |
प्रशासनिक आपाधापी का एक दिलचस्प नजारा अभी दो दिन पूर्व देखने को मिला | पोहरी रोड के एक गाँव से अर्ध रात्रि में एक धार्मिक आयोजन हेतु कुछ लोग डीजे के साथ चले आ रहे थे | वे एस पी कोठी के सामने से गुजरे | एस पी साहब की नींद उचट गई | गुस्से में लाल पीले हुए साहब ने देहात थाने के टी आई को फोन पर हुकुम दनदना दिया कि अविलम्ब कार्यवाही करो | और देखते ही देखते डीजे जब्त होकर शिवपुरी कोतवाली जा पहुंचा | मामला धार्मिक था सो गर्माना ही था | सुबह होते होते सैंकड़ों लोगों का हुजूम कोतवाली में जमा हो गया | बेचारे शहर टीआई को तो मामले की जानकारी ही नहीं थी | उसने पूछताछ की तो मालूम हुआ कि घटनाचक्र के पीछे तो स्वयं एसपी साहब हैं, तो उसने कुछ भी करने में असमर्थता जाहिर की | जनता का हुजूम जा पहुंचा एसपी साहब की कोठी पर | इतने लोगों की भीड़ देखकर साहब के छक्के छूट गए | उन्होंने अपनी जान छुडाने के लिए तत्काल नगर टीआई को निलम्बित किये जाने तथा डीजे छोड़ने के आदेश दे दिए | 
शिवपुरी में कोई पूछने वाला भी नहीं है कि जब आपके आदेश पर देहात थाने के टीआई ने कार्यवाही की, तो दण्ड बेचारे नगर टीआई को क्यों ?
यहाँ जननेत्री राजे साहब के इशारे के बिना पत्ता भी नहीं हिल सकता | प्रभारी मंत्री भी न केवल उनके इशारे पर बनते हैं, बल्कि उन्हें हिदायत होती है कि बिना उनसे पूछे कुछ करने की हिमाकत न करें | स्वाभाविक ही प्रभारी मंत्री शिवपुरी यदाकदा ही आती हैं, और आती भी हैं तो केवल एक औपचारिकता निभाने | जब प्रभारी मंत्री की यह स्थिति है, तो किसी स्थानीय नेता की कितनी औकात होगी, इसकी सहज कल्पना की जा सकती है | स्वयं राजे साहब को भी अपने निजी जीवन व मंत्रालय की गहमागहमी से शिवपुरी की तरफ देखने की फुर्सत नहीं है | तो फिर होगा क्या ? यह एक यक्ष प्रश्न है | जिसका उत्तर देने वाले युधिष्ठिर की प्रतीक्षा शिवपुरी वासी बेताबी से कर रहे हैं | क्या मुख्य मंत्री वह युधिष्ठिर बनेंगे ? क्या कोई सक्षम, स्वतंत्र व कार्यकुशल प्रभारी मंत्री शिवपुरी को मिलेगा ?

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