स्व. माधवराव जी सिंधिया के आग्रह पर हुई एक विलक्षण यात्रा - हरिहर शर्मा



बात सन 1978 की है | तत्कालीन सांसद स्व. माधवराव जी सिंधिया के आग्रह पर शिवपुरी के नामचीन सामाजिक कार्यकर्ता और धनपति एक ही बस में सवार होकर शिवपुरी से दिल्ली को रवाना हुए | संभवतः आज तो कोई कल्पना भी नहीं कर सकता कि ऐसे ऐसे लोग भी बस में गए होंगे | शिवपुरी की मशहूर हस्ती शिवपुरी सिनेमा वाले वीरचंद जी कोचेटा, गणेशीलाल जी जैन, सोहनमल जी सांखला, वल्लभदास जी मंगल, सुशील बहादुर जी अष्ठाना, बाबू भईया, कोशल जी, बनवारीलाल जी, वरिष्ठ पत्रकार प्रेमनारायण जी नागर, जैसे दिग्गजों के साथ हमारी मित्र मंडली तो थी ही | 

उक्त नामों में से अनेक आज समय के प्रवाह में विलुप्त हो चुके हैं | 77 में नवगठित जनता पार्टी के प्रत्यासी आजाद हिन्द फ़ौज के कर्नल ढिल्लन साहब को कुछ हजार वोटों से पराजित कर, माधवराव जी निर्दलीय सांसद चुने गए थे | उनकी हार्दिक इच्छा थी कि शिवपुरी में नेरो गेज के स्थान पर ब्रॉड गेज रेलवे लाईन आये | और इसीलिए उन्होंने शिवपुरी के सर्वदलीय प्रतिनिधि मंडल को दिल्ली आमंत्रित किया था | तो स्वाभाविक ही इस दल में कांग्रेसी भी थे और जनता दल के नेता भी थे | पत्रकार भी थे और गैर राजनैतिक सामाजिक कार्यकर्ता भी थे | 

वर्षा ऋतू थी, तो शिवपुरी वासियों के लिए तो एक पिकनिक जैसा माहौल था | सब लोग हंसते बतियाते, ताश खेलते दिल्ली के रास्ते पर चले जा रहे थे | उन दिनों चम्बल का पुल टूटा हुआ था, अतः एक कच्चे रास्ते से बस को ले जाया जा रहा था | सेठ लोग अपने साथ पर्याप्त मात्रा में पूड़ी इत्यादि खाद्य पदार्थ लेकर चले थे | किन्तु उन दिनों पानी की बोतलें प्रचलन में नहीं थीं, अतः पानी किसी ने साथ में नहीं रखा था | सोचा होगा कि पानी तो रास्ते में कहीं न कहीं मिल ही जाएगा | सबने दबाकर खाना खाया, किन्तु तभी धौलपुर के ही नजदीक कहीं बीहड़ इलाके में गाडी का पहिया कीचड़ में फंस गया | 

ड्राईवर क्लीनर ने पूरा प्रयत्न किया कि किसी प्रकार बस कीचड़ से निकल पाए, किन्तु संभव ही नहीं हो रहा था | सबके कंठ प्यास के कारण चटक रहे थे | कुछ साहसी लोग अँधेरे में ही बस से उतरकर पानी की तलाश हेतु इधर उधर गए | एक को कुआ मिला भी तो 100 फुट से ज्यादा गहरा, जिसमें पानी इतना कम था कि जब बाल्टी डाली गई तो बमुश्किल एक लोटा पानी बाहर आया | पचास साठ लोगों की प्यास बुझने में वह कुआ पूरी तरह असमर्थ था | कई लोगों ने प्यास के आगे घुटने टेककर आसपास के गड्ढों का पानी पीकर काम चलाया | 

हद तो तब हुई जब एक पुलिस वेन वहां से यह सूचना देते हुए निकली कि सावधान रहना, पास में ही डाकुओं के साथ एनकाउंटर चल रहा है | मित्रगण कल्पना कर सकते हैं कि बस में सवार धनपतियों और बड़े लोगों के क्या हाल हुए होंगे | सबके होश फाख्ता हो गए | बड़े बड़े लोग नीचे उतरकर बस में धक्का लगाने लगे कि किसी तरह बस कीचड़ से निकलकर सड़क पर आ जाए | तब तक दूर कहीं से फायरिंग की आवाजें भी आने लगीं | सबकी हालत खराब से और खराब होने लगी | कहाँ तो माधवराव जी के मेहमान बनने के ख़्वाब संजोये दिल्ली जा रहे थे, और कहाँ इस दहशत के माहौल में फंस गए | 

तभी भाग्य से दो चार ट्रक उस सुनसान बियाबान इलाके से गुजरे | ट्रक ड्राईवरों को दया आ गई और रस्सी द्वारा एक ट्रक ने आगे से खींचा और एक ट्रक ने बस को पीछे से ठेला | तब जाकर बस सड़क पर आई और यात्रियों की जान में जान आई | फिर तो क्या बगटुक भागे हैं वहां से, कि क्या कहने | 

सोचा था सुबह दिल्ली पहुँच जायेंगे किन्तु यह तो संभव ही नहीं था | गुडगाँव के पास ही सबेरा हो गया | रसिक सेठों को बियर की तलब लगी तो एक मोटल पर बस रोकी गई | किसी ने चाय, तो किसी ने बियर के जग हाथों में थामे | सोहन मल जी हमारी टीम पर अत्यंत ही कृपालु थे, बोले आप लोग भी तो कुछ लो | हममें से अधिकाँश ने चाय ली तो विमलेश जी ने जूस ग्रहण किया, बाद में मालूम पड़ा कि उसकी कीमत वहां बियर से तीन गुना ज्यादा थी | 

लगभग दोपहर को हम लोग दिल्ली के सिंधिया विला पहुंचे, जहाँ सुस्वादु भोजन हमारे लिए तैयार था | माधव राव जी ने पहले से ही तत्कालीन विदेश मंत्री अटल जी और रेल मंत्री मधु दंडवते से भेंट का समय लिया हुआ था | जल्दी जल्दी भोजन आदि से निबटकर वरिष्ठ जनों का एक प्रतिनिधिमंडल पहले अटल जी से मिला | माधवराव जी ने सबका परिचय कराया और रेल मंत्री से मिलने साथ चलने का आग्रह किया | अटल जी ने कहा – दंडवते का रुख मुझे पता है, मैं भी इस विषय में उनसे पूर्व में ही चर्चा कर चुका हूँ, वे नहीं मानेंगे | अंत में उन्होंने अंग्रेजी में एक वाक्य कहा – व्हाई यू आर वेस्टिंग योर टाईम एंड माय टू | और वे मधु दंडवते से मिलने नहीं गए | 

हमारी यात्रा तो असफल होनी ही थी | तत्कालीन रेल मंत्री मधु दंडवते ने सिरे से मांग नकार दी और हम लोग “लौट के बुद्धू घर को आये”| 

आज स्व. माधवराव जी की पावन पुण्य तिथि है | उनके जीवनकाल में सदा आलोचक रहे होने के बाद भी यह कहने में मुझे कोई हिचक नहीं कि, शिवपुरी के विकास के प्रति उनकी रूचि और लगन प्रशंसनीय थी | बाद में रेल मंत्री बनने के बाद उन्होंने शिवपुरी को रेलवे के मानचित्र पर लाकर ही दम लिया | सादर श्रद्धांजलि !
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