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दिवाकर की दुनाली से

दिवाकर की दुनाली से

शिवपुरी नगर पालिका में सियासी महाभारत: क्या महादेव कर रहे हैं न्याय?

शिवपुरी की राजनीति इन दिनों जिस मोड़ पर खड़ी है, वह सिर्फ प्रशासनिक उठापटक नहीं, बल्कि एक गहरी आत्मा की पीड…

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विचारधारा पर छाया संकट: संघ-भाजपा में घुसपैठ का षडयंत्र

कभी-कभी परिवर्तन की आड़ में कुछ ऐसी आहटें सुनाई देती हैं, जो भीतर तक बेचैन कर देती हैं। यह बेचैनी वैचारिक न…

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शिवपुरी नगर पालिका का राजनीतिक रहस्य: भीतर छिपे सत्ता संघर्ष की सच्चाई

नगर पालिका भवन की दीवारें इन दिनों बहुत कुछ सुन रही हैं। वे दीवारें, जो कभी चुनी हुई चुप्पियों की गवाह थीं,…

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पत्रकारों पर वार: नया ट्रेंड या सोची-समझी साजिश? – दिवाकर शर्मा

आजकल सबकुछ बड़ा तेजी से बदल रहा है – खबरें भी, खबरनवीस भी, और उनके प्रति समाज का नजरिया भी। एक समय था जब पत…

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खनियाधाना : जातीय विमर्श की आड़ में चेतावनी या चालाकी? – दिवाकर शर्मा

खनियाधाना – एक बार फिर चर्चा में है। कभी धर्मांतरण के मुद्दों को लेकर, कभी जातिगत खींचतान के लिए, और अब एक …

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मोदी जी, क्या आपको समय है जमीनी ध्येयनिष्ठ कार्यकर्ताओं की पीड़ा सुनने समझने की ? – दिवाकर शर्मा

प्रादेशिक सत्ता के गलियारों में प्रवेश केवल चाटुकारों और व्यापारियों के लिए आरक्षित।  एक अजीब सी छटपटाहट है…

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पत्रकारिता का पुनर्जागरण: एक मौन संघर्ष है – दिवाकर शर्मा

जब सभ्यताओं का उदय हुआ था, तब सत्य और सूचना की वाणी सबसे पवित्र मानी गई थी। गुफाओं की दीवारों से लेकर राजसभ…

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संघ, भाजपा और "राष्ट्रीय अध्यक्ष" का सनसनीखेज़ नाटक – दिवाकर शर्मा

भारतीय राजनीति में जब भी कोई बड़ा बदलाव होता है, तो उसकी पटकथा पहले ही लिख दी जाती है। मंच तैयार होता है, प…

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शिवपुरी की सड़कों पर सरपट दौड़ती मौत – दिवाकर शर्मा

✍🏻 दिवाकर शर्मा सड़कें किसी भी शहर की पहचान होती हैं। इन्हीं सड़कों पर जीवन दौड़ता है, व्यापार फलता-फूलता …

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शिवपुरी: मौन समाज, भागती मासूम और बेखौफ दरिंदा – दिवाकर शर्मा

शिवपुरी की गलियों में चहल-पहल थी। बच्चे खेल रहे थे, बाजार अपनी रफ्तार में था, लोग अपने-अपने कामों में व्यस्…

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"शिवपुरी का रहस्यमयी अड्डा: होटल के नाम पर कुछ और ही खेल?"

शहर का दिल, माधव चौक। जहाँ रौशनी हमेशा जगमगाती है, जहाँ भीड़ की चहल-पहल कभी थमती नहीं, जहाँ हर तरफ चहकते चे…

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स्वतंत्र भारत की बौद्धिक गुलामी: वामपंथी इतिहास लेखन और कांग्रेस की सांस्कृतिक साजिश - दिवाकर शर्मा

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का हालिया बयान इस मानसिकता का सटीक उदाहरण है। उन्होंने भार…

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"साजिशों के साए में प्रीतम लोधी : बढ़ते कद से घबराए सियासी प्रतिद्वंद्वी" - दिवाकर शर्मा

पिछोर की राजनीति में प्रीतम लोधी का उदय एक महत्वपूर्ण परिवर्तन का संकेतक है, जिसने वर्षों से जमे-जमाए राजनी…

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"शिवपुरी के सन्नाटे में छिपा षड्यंत्र: भू माफियाओं का खेल, सत्ता का संरक्षण और जनता की लूट"

शिवपुरी में बीते वर्षों के दौरान भू माफियाओं का ऐसा आतंक पनपा है कि यह शहर आज अपनी मूल पहचान खोने के कगार प…

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"महाकुंभ को पाखंड कहने वालों को वैज्ञानिकता और धार्मिकता का करारा जवाब" - दिवाकर शर्मा

महाकुंभ भारतीय संस्कृति, परंपरा और आध्यात्मिकता का ऐसा अनुपम आयोजन है, जो न केवल भारत के धार्मिक विश्वासों …

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"नई लीडरशिप, पुराने सवाल: भाजपा के आंतरिक लोकतंत्र की चुनौती" - दिवाकर शर्मा

भारतीय जनता पार्टी अपने अनुशासन और आंतरिक लोकतंत्र के लिए पहचानी जाती है, लेकिन हाल के जिलाध्यक्षों की घोषण…

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रहस्यमयी कमरा, पीआर एजेंसियां और पत्रकारिता की नई कहानी - दिवाकर शर्मा

पत्रकारिता का मूल उद्देश्य था समाज के सामने सत्य को प्रस्तुत करना, असल समस्याओं को उजागर करना और जनमत को सह…

दिवाकर की दुनाली से

"भारतीय लोकतंत्र: प्राचीन स्वशासन परंपराओं से आधुनिक चुनौती तक का सफर"

भारत के लोकतंत्र को लेकर चल रही वर्तमान चर्चाएँ न केवल इसकी ऐतिहासिक गहराई को समझने का अवसर प्रदान करती हैं…

ज़्यादा पोस्ट लोड हो रहा है… That's All