शिवपुरी नगर पालिका में सियासी महाभारत: क्या महादेव कर रहे हैं न्याय?
शिवपुरी की राजनीति इन दिनों जिस मोड़ पर खड़ी है, वह सिर्फ प्रशासनिक उठापटक नहीं, बल्कि एक गहरी आत्मा की पीड…
शिवपुरी की राजनीति इन दिनों जिस मोड़ पर खड़ी है, वह सिर्फ प्रशासनिक उठापटक नहीं, बल्कि एक गहरी आत्मा की पीड…
कभी-कभी परिवर्तन की आड़ में कुछ ऐसी आहटें सुनाई देती हैं, जो भीतर तक बेचैन कर देती हैं। यह बेचैनी वैचारिक न…
नगर पालिका भवन की दीवारें इन दिनों बहुत कुछ सुन रही हैं। वे दीवारें, जो कभी चुनी हुई चुप्पियों की गवाह थीं,…
आजकल सबकुछ बड़ा तेजी से बदल रहा है – खबरें भी, खबरनवीस भी, और उनके प्रति समाज का नजरिया भी। एक समय था जब पत…
खनियाधाना – एक बार फिर चर्चा में है। कभी धर्मांतरण के मुद्दों को लेकर, कभी जातिगत खींचतान के लिए, और अब एक …
प्रादेशिक सत्ता के गलियारों में प्रवेश केवल चाटुकारों और व्यापारियों के लिए आरक्षित। एक अजीब सी छटपटाहट है…
जब सभ्यताओं का उदय हुआ था, तब सत्य और सूचना की वाणी सबसे पवित्र मानी गई थी। गुफाओं की दीवारों से लेकर राजसभ…
भारतीय राजनीति में जब भी कोई बड़ा बदलाव होता है, तो उसकी पटकथा पहले ही लिख दी जाती है। मंच तैयार होता है, प…
✍🏻 दिवाकर शर्मा सड़कें किसी भी शहर की पहचान होती हैं। इन्हीं सड़कों पर जीवन दौड़ता है, व्यापार फलता-फूलता …
शिवपुरी की गलियों में चहल-पहल थी। बच्चे खेल रहे थे, बाजार अपनी रफ्तार में था, लोग अपने-अपने कामों में व्यस्…
शहर का दिल, माधव चौक। जहाँ रौशनी हमेशा जगमगाती है, जहाँ भीड़ की चहल-पहल कभी थमती नहीं, जहाँ हर तरफ चहकते चे…
शिवपुरी के आकाश में कोई अदृश्य बादल मंडरा रहा है। हवा में एक अजीब-सा कंपन है, जो दिखता नहीं, पर महसूस किया …
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का हालिया बयान इस मानसिकता का सटीक उदाहरण है। उन्होंने भार…
पिछोर की राजनीति में प्रीतम लोधी का उदय एक महत्वपूर्ण परिवर्तन का संकेतक है, जिसने वर्षों से जमे-जमाए राजनी…
शिवपुरी में बीते वर्षों के दौरान भू माफियाओं का ऐसा आतंक पनपा है कि यह शहर आज अपनी मूल पहचान खोने के कगार प…
महाकुंभ भारतीय संस्कृति, परंपरा और आध्यात्मिकता का ऐसा अनुपम आयोजन है, जो न केवल भारत के धार्मिक विश्वासों …
भारतीय जनता पार्टी अपने अनुशासन और आंतरिक लोकतंत्र के लिए पहचानी जाती है, लेकिन हाल के जिलाध्यक्षों की घोषण…
राजनीति में 'घर वापसी' कोई नई बात नहीं है, लेकिन जब यह वापसी विचारधारा और निष्ठा के नाम पर की जाए, …
पत्रकारिता का मूल उद्देश्य था समाज के सामने सत्य को प्रस्तुत करना, असल समस्याओं को उजागर करना और जनमत को सह…
भारत के लोकतंत्र को लेकर चल रही वर्तमान चर्चाएँ न केवल इसकी ऐतिहासिक गहराई को समझने का अवसर प्रदान करती हैं…