ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शिवपुरी में स्वघोषित पत्रकारों की खोली पोल
शिवपुरी की सरजमीं शुक्रवार को एक ऐतिहासिक पल की गवाह बनी जब प्रेस क्लब द्वारा आयोजित कार्यशाला में केंद्रीय…
शिवपुरी की सरजमीं शुक्रवार को एक ऐतिहासिक पल की गवाह बनी जब प्रेस क्लब द्वारा आयोजित कार्यशाला में केंद्रीय…
एशिया कप 2025 का आयोजन केवल क्रिकेट का उत्सव भर नहीं है, बल्कि यह एशिया की बदलती धार्मिक और सांस्कृतिक तस्व…
भारत में गणेशोत्सव की शुरुआत केवल पूजा-अर्चना भर के लिए नहीं हुई थी। जब लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने इसे सार…
लेखक: दिवाकर शर्मा, संपादक – क्रांतिदूत शिवपुरी केवल एक ऐतिहासिक नगर नहीं, विचारों का उद्गम है, संवादों का …
जिस भाजपा को श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने राष्ट्र के वैचारिक विकल्प के रूप में खड़ा किया, जिसे दीनदयाल उपाध्याय…
शहर की आबोहवा में इन दिनों कुछ अलग ही खुशबू घुली है। दाल-बाटी की महक के साथ-साथ राजनीति, प्रॉपर्टी डील और प…
शिवपुरी अब वो शांत, सरल और सुरक्षित शहर नहीं रहा जहाँ बच्चे गली में खेलते थे, बुज़ुर्ग सड़कों पर बेखौफ़ टहल…
कभी पत्रकारिता को देखकर लोग सिर झुकाकर आदर से नमस्कार करते थे। गांव का बुज़ुर्ग कहता था – “ये कलम वाला आदमी…
शिवपुरी जिले की नरवर तहसील में पत्रकारिता की विश्वसनीयता को झकझोर देने वाला एक सनसनीखेज मामला सामने आया है।…
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, जिसने अनुशासन, त्याग, समर्पण और राष्ट्रधर्म को अपनी रीढ़ बनाया, आज एक अजीब से संक्…
दिवाकर की दुनाली से ✍️ रात के तीसरे पहर, चाँद भी शर्मिंदा था – क्योंकि एक पत्रकार की कलम, आज दाल में डूबी प…
कभी सूचना के अधिकार की मशाल थामे व्यवस्था की अंधेरी गलियों में रोशनी बिखेरने वाला नाम – आशीष चतुर्वेदी – आज…
शिवपुरी नगर पालिका का इतिहास केवल ईंट-पत्थर, बजट और बैठकों की दास्तां नहीं है, यह उस नगर की आत्मा की कथा है…
शिवपुरी की राजनीति इन दिनों जिस मोड़ पर खड़ी है, वह सिर्फ प्रशासनिक उठापटक नहीं, बल्कि एक गहरी आत्मा की पीड…
कभी-कभी परिवर्तन की आड़ में कुछ ऐसी आहटें सुनाई देती हैं, जो भीतर तक बेचैन कर देती हैं। यह बेचैनी वैचारिक न…
नगर पालिका भवन की दीवारें इन दिनों बहुत कुछ सुन रही हैं। वे दीवारें, जो कभी चुनी हुई चुप्पियों की गवाह थीं,…
आजकल सबकुछ बड़ा तेजी से बदल रहा है – खबरें भी, खबरनवीस भी, और उनके प्रति समाज का नजरिया भी। एक समय था जब पत…
खनियाधाना – एक बार फिर चर्चा में है। कभी धर्मांतरण के मुद्दों को लेकर, कभी जातिगत खींचतान के लिए, और अब एक …
प्रादेशिक सत्ता के गलियारों में प्रवेश केवल चाटुकारों और व्यापारियों के लिए आरक्षित। एक अजीब सी छटपटाहट है…
जब सभ्यताओं का उदय हुआ था, तब सत्य और सूचना की वाणी सबसे पवित्र मानी गई थी। गुफाओं की दीवारों से लेकर राजसभ…