दिवाकर की दुनाली से
पत्रकारिता का पुनर्जागरण: एक मौन संघर्ष है – दिवाकर शर्मा
जब सभ्यताओं का उदय हुआ था, तब सत्य और सूचना की वाणी सबसे पवित्र मानी गई थी। गुफाओं की दीवारों से लेकर राजसभ…
जब सभ्यताओं का उदय हुआ था, तब सत्य और सूचना की वाणी सबसे पवित्र मानी गई थी। गुफाओं की दीवारों से लेकर राजसभ…
जिस दिन भारत ने अपने प्राचीन मूल्यों धर्म, करुणा, सत्य, अहिंसा और वैश्विक एकता के आधार पर अपनी यात्रा पुनः …
पहाड़ों की शांत चादर ओढ़े कश्मीर की घाटी, आज फिर बारूद की आग में जल उठी। चिड़ियों की चहचहाहट को गोली की गूं…
भारतीय राजनीति में जब भी कोई बड़ा बदलाव होता है, तो उसकी पटकथा पहले ही लिख दी जाती है। मंच तैयार होता है, प…
पत्रकारिता केवल समाचारों का संकलन या लेखन भर नहीं होती, यह समाज के प्रति एक गहरी जिम्मेदारी और सत्य की खोज …
शहर की पहचान वहां के नागरिकों से बनती है, उनके संस्कारों, उनके चरित्र और उनके कर्मों से। लेकिन जब कोई व्यक्…