पत्रकारिता का पुनर्जागरण: एक मौन संघर्ष है – दिवाकर शर्मा
जब सभ्यताओं का उदय हुआ था, तब सत्य और सूचना की वाणी सबसे पवित्र मानी गई थी। गुफाओं की दीवारों से लेकर राजसभ…
जब सभ्यताओं का उदय हुआ था, तब सत्य और सूचना की वाणी सबसे पवित्र मानी गई थी। गुफाओं की दीवारों से लेकर राजसभ…
जिस दिन भारत ने अपने प्राचीन मूल्यों धर्म, करुणा, सत्य, अहिंसा और वैश्विक एकता के आधार पर अपनी यात्रा पुनः …
पहाड़ों की शांत चादर ओढ़े कश्मीर की घाटी, आज फिर बारूद की आग में जल उठी। चिड़ियों की चहचहाहट को गोली की गूं…
भारतीय राजनीति में जब भी कोई बड़ा बदलाव होता है, तो उसकी पटकथा पहले ही लिख दी जाती है। मंच तैयार होता है, प…
पत्रकारिता केवल समाचारों का संकलन या लेखन भर नहीं होती, यह समाज के प्रति एक गहरी जिम्मेदारी और सत्य की खोज …
शहर की पहचान वहां के नागरिकों से बनती है, उनके संस्कारों, उनके चरित्र और उनके कर्मों से। लेकिन जब कोई व्यक्…
शिवपुरी में दबंगों की दहशत ज्यादा देर नहीं टिक सकी! कोतवाली पुलिस ने शहर के बीचोबीच व्यवसायी पर हमले के …
देशभर में बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद की पहचान केवल हिंदुत्व के प्रहरी के रूप में नहीं, बल्कि अनुशासन, रा…
भारतीय परंपराओं और रीति-रिवाजों ने हमेशा समावेशिता के महत्व पर जोर दिया है। संयुक्त परिवार प्रणाली, एक समाव…
शिवपुरी की सामाजिक सरोकारों में सक्रिय और बाल अधिकारों की संवेदनशील प्रहरी श्रीमती सुगंधा आशुतोष शर्मा को ब…
सैकड़ो वर्षों से कुंभ, महाकुंभ का आयोजन भारत में किया जा रहा है। यह केवल संगम अथवा पवित्र नदियों में डुबकी …
✍🏻 दिवाकर शर्मा सड़कें किसी भी शहर की पहचान होती हैं। इन्हीं सड़कों पर जीवन दौड़ता है, व्यापार फलता-फूलता …
जैसे-जैसे क्षेत्रीय नाट्य परम्पराएँ विकसित हुई हैं, भारत का रंगमंच और प्रदर्शन कलाएँ सामाजिक और राजनीतिक पर…
यूडीआईएसई+ 2023-24 रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय स्कूल शिक्षकों में अब 53.34 प्रतिशत महिलाएं हैं, जो शिक्षा में…
रात्रि के घने अंधकार में जब चेतना की लौ मंद पड़ने लगती है, तब शिव जागते हैं। शिवरात्रि, वह पावन तिथि ह…
शिवपुरी, जिसे विकास की नई ऊँचाइयों पर पहुँचाने के दावे किए जाते हैं, आज सीवर प्रोजेक्ट की दुर्दशा के कारण च…